कितनी घटिया मानसिकता है इन जेहादियों की जो न बच्ची को छोड़ते है न बुजुर्ग को, यहां तक कि ये तो मुर्दे को, जानवरों को भी अपनी हवस का शिकार बना लेते है... सोचिए आखिर क्या है इस हैवानियत का कारण? क्या इन्हें दी जाने वाली शिक्षा का इसमें कोई रोल नहीं? विचार करना चाहिए ..हिंदुओं भी और सरकार को भी.. और हो सके तो कोर्ट को भी
जानिए क्या कहा कोर्ट ने जमानत खारिज करते हुए👇
अनंतनाग की स्थानीय कोर्ट ने शुक्रवार को आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि कश्मीर के हरे-भरे मैदान, पहाड़, हरे-भरे खेत, जंगल, झरने, नदियां और बगीचे पहलगाम की छवि बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में बचाने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे. जितनी जल्दी इस समाज के आधार स्तंभ, जागरूक प्रहरी, निगरानी करने वाले और परोपकारी लोग समाज में गलत हो रहे कार्यों को रोकने के लिए आगे आएंगे, कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहने की सच्ची पहचान को बचाना उतना ही बेहतर होगा. एक सम्मानित वरिष्ठ महिला, जो संतों और साधुओं की इस धरा की यात्रा पर आई थीं, उनके साथ इस तरह की हरकत पर वह इस जगह को चुनने के अपने फैसले को लेकर जीवनभर पछताएंगी. यही वह अनुभव है जो वह पहलगाम से अपने साथ लेकर गई हैं, जहां वह कश्मीर की सुंदरता का आनंद लेने आई थीं.
अदालत ने कहा कि यह घटना समाज में फैली दुष्टता और बीमार मानसिकता को दर्शाती है, जो समाज के नैतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाती है. एक वरिष्ठ महिला कश्मीर की खूबसूरती का आनंद लेने पहलगाम आई थीं लेकिन अब वो जिंदगी भर के लिए बुरी यादें लेकर जाएंगी.
बता दें कि पहलगाम का ही रहने वाला आरोपी जुबैर अहमद फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. आरोपी के खिलाफ बीएनएस की धारा 64 और 331 (4) के तहत मामला दर्ज किया गया है.