सट्टेबाजी का खेल ना जाने कितने लोगों को रोज निगल रहा है ना जाने कितने परिवार बर्बाद हो रहे हैं लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि सरकार, प्रशासन, कोर्ट इन सबको कोई फरक नहीं पड़ता और ये सब लोगों की बरबादी और उनके अंत को शांति से देखते रहते है। सट्टेबाजी एक अधर्म है लेकिन आज के कानून ने इस अधर्म को लीगल किया हुआ है जिससे ये कई लोगों का विनाश कर रहा है
ऑनलाइन सट्टे में हर साल 8.5 लाख करोड़ का दांव लगता है इनमें न जाने कितने लोग माध्यम वर्गीय या गरीब होते होंगे जो अपनी जीवन भर की कमाई हार जाते है और फिर अपने जीवन का अंत कर लेते है। अब देश का कानून तो नहीं सुधारा जा सकता लेकिन लोगों को अपने जीवन को बर्बाद होने से बचाने के बारे में सोचना चाहिए