झूठे आरोपों में जेल में बंद निर्दोष व्यक्ति 43 साल बाद 103 साल की उम्र में जेल से बाहर आए।शायद इसलिए क्योंकि पीड़ित के पास जमानत के लिए जजों को पैसे नहीं दिए थे।उसके कीमती 43 साल की भरपाई कोई नहीं कर सकता, लेकिन क्या उसके साथ अन्याय करने वाले जजों को सजा मिलेगी? यहां जवाबदेह कौन है?
भारत में जज और बाबू सबसे अयोग्य और भ्रष्ट हैं जो बिना किसी जवाबदेही के सत्ता का आनंद लेते हैं। क्या इस रिहाई को न्याय कहा जा सकता है जहां एक निर्देश के जीवन के 43 साल जेल में बर्बाद कर दिए गए। कहते हैं 100 दोषी छुट जाएं लेकिन 1 भी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए पर सच ये है कि दोषी तो छूटते हैं पर अनेकों निर्दोष भी जायकों में सड़ रहे हैं