हर बार एक ही चेहरा दिखा-दिखा कर हमें पढ़ाया गया कि बस इन्होंने भारत का संविधान बनाया, यही मसीहा थे, बाकी सब क्या थे? तमाशबीन? अरे भाई, संविधान एक इंसान की थाली में परोसी खिचड़ी नहीं है।इसमें सैकड़ों दिमाग, हजारों चर्चाएं और करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें शामिल थीं, लेकिन हमें क्या बताया गया? एक ही नाम, एक ही मूर्ति, एक ही एजेंडा, बाकी सब का योगदान गायब, ये सिर्फ इतिहास की चोरी नहीं है, ये हम भारतीयों के साथ छल किया गया है।
भारत का संविधान सबका है, और इसे बनाने में भी सबका हिस्सा था, इसे किसी एक के इर्द-गिर्द बांध कर, भारत की आत्मा को बाँध दिया गया है। एक व्यक्ति को कैसे भगवान के रूप में प्रतिष्ठित किया गया और फिर उसी की आड़ में हिंदू विरोधी खेल भी रचा है... खतरनाक खेल