भारत में घुसपैठ का एक और फॉर्मूला दशकों से चलता आ रहा है और हिंदुओं को इसके विषय में जानकारी तब मिली, जब अमित शाह ने देश के अंदर मौजूद सभी पाकिस्तानियों को तत्काल देश से बाहर निकलने को कहा।और अब पता ये चल रहा है कि देश के अंदर लाखों की संख्या में पाकिस्तानी मौज काट रहे हैं।
पत्र, पत्रिकाओं और मीडिया जगत से मिली जानकारी के मुताबिक देश में तकरीबन 5 लाख ऐसी भारतीय मुस्लिम महिलाएं हैं जिन्होंने पाकिस्तानियों से निकाह किया है और ये महिलाएं भारत में प्रति वर्ष बच्चे पैदा कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय जी का दावा है कि इन 5 लाख मुस्लिम महिलाओं में से ज्यादातर के न्यूनतम 5 बच्चे तो हैं हीं। ऐसे में अगर गणना की जाए तो 5 लाख महिलाओं के अगर 25 लाख बच्चे हुए तो इसका मतलब है कि इनकी कुल आबादी लगभग 30 लाख हो गई। ये 25 लाख बच्चे भी पैरेंट्स बन चुके हैं यानी इनके भी बच्चे हो चुके हैं। अगर एक महिला के 3 बच्चे माने जाएं तो इसका मतलब ये हुआ कि ये कुल 75 लाख नाती-पोते और हो गए।
*आइए थोड़ा और विस्तारपूर्वक समझते हैं…*
- महिलाएं - 5 लाख
- बच्चे - 25 लाख
- नाती/पोते - 75 लाख
- कुल आबादी - 1 करोड़ 5 लाख (भारतीय मुस्लिम महिलाओं से जन्मी पाकिस्तानी)
अब आप समझ पा रहे होंगे कि ये कितनी बड़ी साजिश भारत देश के अंदर चल रही हैं। दरअसल सबसे बड़ी, अहम और चौंकाने वाली बात ये है कि ये सभी मुस्लिम महिलाएं बहुत ही चालाक हैं। गैरों पे करम, अपनों पे सितम वाला फार्मूला अपनाती हैं।
इनको भारत के अंदर 25 करोड़ मुसलमान पुरुषों में कोई मर्द नहीं मिला। इन्होंने मजा तो जाकर पाकिस्तान के मर्दों को दिया लेकिन बच्चे पैदा करने के लिए वीजा लेकर भारत आती हैं क्योंकि भारत में बेहतरीन और बहुत सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। ऊपर से भारत की सरकारें भी इन पर मेहरबान है।
सबसे बड़ी बात ये है कि कई मामलों में ये मुस्लिम महिलाएं बच्चों को लेकर अवैध रूप से भारत में भी रहती हैं और लॉन्ग टर्म वीजा के बहाने भारत की नागरिक सुलभ अर्थव्यवस्था का लाभ भी उठा रही हैं। अगर सरकार जांच करवाए तो ये भी बता चलेगा कि ये महिलाएं भारत की तमाम सरकारी योजनाओं की लाभार्थी भी हैं क्योंकि इन्होंने भारत की नागरिकता ही नहीं छोड़ी है।
ये षडयंत्र भी वैसे ही है जैसे वक्फ बोर्ड। वक्फ एक ऐसा षड़यंत्र था जिसको पहचानने में हिंदुओं को कई वर्ष लग गए और तब तक देश की 40 लाख एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड निगल गया। गुलामी के 700 सालों में सिर्फ 50 हजार एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड के नाम हुई थी लेकिन बीते 70 सालों में 40 लाख एकड़ ज़मीन वक्फ के पेट में चली गई।
आज अगर आप थोड़ा सा ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि जिहादी इस्लाम केवल कश्मीर ही नहीं बल्कि पूरे भारत में फैल चुका है। फर्क बस इतना ही रह गया है कि कश्मीर के इस्लाम ने भारत के खिलाफ हथियार उठा लिया है और शेष भारत का इस्लाम अभी ब्यानबाज़ी से माहौल बना रहा है।
अगर आपको अपने आसपास ऊंचे उठते पाजामे, बिना मूंछ की बढ़ती दाढ़ी और हिजाब बुर्के का बढ़ता जोर दिखाई नहीं दे रहा है तो आप अंधे हो चुके हैं।
ध्यान से देखेंगे तो पायेंगे कि दो दशक पहले जो वेशभूषा चंद मौलवियों की होती थी आज एक सामान्य मु&लमान की हो गयी है और हाँ यह सब अनायास नहीं हो रहा है।
स्मरण रहे कि वर्तमान समय में हिन्दू संस्कृति एक निर्णायक दौर में है। अगर इस खतरे को नजरअंदाज करके आप छद्म धर्मनिरपेक्ष पार्टियों की राजनीति में फंस कर दलित और मुस्लिम के फर्जी भाईचारे की प्रभात फेरियां निकालने में व्यस्त रहे तो यकीन मानिये यहूदियों और पारसियों की तरह जल्दी ही आप भी एलीमिनेशन राउंड में होंगे।
इतना सब कुछ चल रहा है मगर फिर भी हिंदू सोता ही रहता है और इसीलिए खोता ही रहता है। पता नहीं कब जागेगा हिन्दू।
✍️ साभार
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