हनुमान चालीसा एक ऐसा स्तोत्र है जो ध्वनि कंपन, मंत्र शक्ति, भाव ऊर्जा और आंतरिक उपचार का अद्भुत मेल है।भारतीय योग शास्त्र के अनुसार, मानव शरीर में 72,000 नाड़ियाँ होती हैं। इनमें से इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना तीन मुख्य नाड़ियाँ हैं। परंतु इनके अलावा 40 प्रमुख नाड़ियों की चर्चा भी की जाती है जो शरीर के विभिन्न अंगों, चक्रों और मानसिक अवस्थाओं से जुड़ी होती हैं।
कंपन और नाड़ी विज्ञान:
हर चौपाई का उच्चारण एक विशेष प्रकार का ध्वनि-वेग (frequency) उत्पन्न करता है। ये वेग शरीर के भीतर सूक्ष्म रूप से फैली नाड़ियों में कंपन उत्पन्न करता है। ये कंपन रुकी हुई प्राण ऊर्जा को मुक्त करते हैं और संतुलन लाते हैं।
चक्र, नाड़ियाँ और चौपाइयाँ:
हम इसे सात चक्रों के अनुसार बाँट सकते हैं और उनकी संबंधित चौपाइयों और नाड़ियों से जोड़ सकते हैं:
1. मूलाधार चक्र (Root Chakra):
सुरक्षा, स्थिरता, अस्तित्व।
चौपाइयाँ: 1-5
उदाहरण: “जय हनुमान ज्ञान गुण सागर...”
प्रभाव: मूलाधार से जुड़ी गुह्य नाड़ियाँ, जो भय, अस्तित्व की चिंता को नियंत्रित करती हैं।
2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra):
रचनात्मकता, भावनाएँ, प्रजनन।
चौपाइयाँ: 6-10
उदाहरण: “भीम रूप धरि असुर संहारे...”
प्रभाव: नाभि के आसपास की सूक्ष्म नाड़ियाँ संतुलित होती हैं।
3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus):
आत्मविश्वास, इच्छा शक्ति।
चौपाइयाँ: 11-15
उदाहरण: “विध्यावान गुणी अति चातुर...”
प्रभाव: जठराग्नि से जुड़ी प्रमुख नाड़ियाँ जाग्रत होती हैं।
4. अनाहत चक्र (Heart Chakra):
प्रेम, करुणा, समर्पण।
चौपाइयाँ: 16-20
उदाहरण: “कंचन बरन बिराज सुबेसा...”
प्रभाव: हृदय के चारों ओर की नाड़ियाँ संतुलन में आती हैं।
5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra):
वाणी, अभिव्यक्ति।
चौपाइयाँ: 21-25
उदाहरण: “राम दुआरे तुम रखवारे...”
प्रभाव: कंठ क्षेत्र की नाड़ियाँ, वाणी और सत्य से जुड़ी शक्ति जाग्रत करती हैं।
6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra):
अंतर्ज्ञान, दृष्टि, मन नियंत्रण।
चौपाइयाँ: 26-30
उदाहरण: “सब सुख लहै तुम्हारी सरना...”
प्रभाव: मस्तिष्क की नाड़ियाँ, विशेष रूप से आज्ञा केंद्र की ऊर्जा प्रवाह में सहायक।
7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra):
ब्रह्मज्ञान, आत्म साक्षात्कार।
चौपाइयाँ: 31-35
उदाहरण: “तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा...”
प्रभाव: ब्रह्मरंध्र और उससे जुड़ी नाड़ियाँ, जो आत्मिक अनुभव से जुड़ी होती हैं।
अंतिम चौपाइयाँ (36-40):
समर्पण, आराधना, पूर्ण शरणागति।
चौपाइयाँ: “और मनोरथ जो कोई लावे...” से “सीधा सदा हमारे पासा...” तक
ये पूर्ण नाड़ी-संतुलन का संकेत हैं — सभी 40 प्रमुख नाड़ियों की शुद्धि, जागृति और सामंजस्य।
हनुमान चालीसा:
एक ध्वनि चिकित्सा पद्धति (Sound Therapy) है।
एक नाड़ी संतुलक मंत्र प्रणाली है।
और सबसे बढ़कर, भक्ति से आत्मा को जोड़ने वाला सेतु है।
जाप नियमित करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि सूक्ष्म शरीर (प्राणमय कोश) भी संतुलित होता है।