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- प्रख्यात साहित्यकार धर्मवीर भारती को सरकारी तौर पर 1971 के युद्ध को देखने के लिए पूर्वी पाकिस्तान भेजा गया था । तब एक गांव में उन्होंने मुक्तिवाहिनी के एक दाढ़ी वाले मुस्लिम लड़ाके से कहा कि अपनी फोटो खिंचवा लो हमें अपनी किताब में लगाना है तब मुक्तिबाहिनी के मुस्लिम लड़ाके ने ये कहा कि हमारा इस्लाम और शरीयत फोटो खींचने की इजाजत नहीं देता है ।
-मुक्तिबाहिनी के अंदर ही बांग्ला हिंदू लड़ाकों के साथ भेदभाव किया जा रहा था उनसे काफिरों जैसा सुलूक किया जा रहा था ।
- बांग्लादेश के संस्थापक जियाउर्रहमान को हिंदुस्तान ने बांग्लादेश का मालिक बना दिया । ये वही जियाउर्रहमान है जो 1947 में बंटवारे के वक्त नोआखाली के दंगों में हिंदुओं का हत्यारा और मुस्लिम लीग के हुसैन सुहरावर्दी का साथी था ।
-आज जब 2025 में बांग्लादेश के मोहम्मद युनुस का सुरक्षा सलाहकार फजलुर्रहमान ये कहता है कि जैसे ही पाकिस्तान पर भारत हमला करे, वैसे ही बांग्लादेश भी चीन की मदद से नॉर्थ ईस्ट में हमला कर देगा । मुगलमान कट्टरपंथी ही होता है और हमेशा अपनी आसमानी किताब से ही चलता है ये बात हम 1971 में क्यों भूल गए ?
-26 जनवरी 1526 को दक्षिण भारत के अंदर एक बहुत बड़ा युद्ध इतिहास में लड़ा गया था जिसे तालीकोट का युद्ध कहा जाता है । इस युद्ध में विजयनगर साम्राज्य पर आसपास के 5 मुस्लिम सुल्तानों ने हमला कर दिया था । विजयनगर के राजा रामराय 80 साल के थे । वो युद्ध जीत चुके थे लेकिन तभी उनके दो मुस्लिम सेनापतियों गिलानी बंधुओं ने गद्दारी करते हुए अचानक मुस्लिम सुल्तानों का पाला चुन लिया । इसके बाद विजयनगर का राजा युद्ध हार गया उसकी गर्दन काट दी गई । हम्पी के खंडहर आज भी दिखाते हैं कि कैसे 90 दिनों तक एक शहर को खत्म किया गया । लाखों लोगों को मारा गया और इतनी लाशें गिरीं जिनको हिंदू 12 दिनों तक गिनते रहे । दुख की बात ये है कि गिलानी बंधुओं को रामराय ने ही बचपन से पाल पोस कर बड़ा किया था, वो एक मुस्लिम बेवा के अनाथ बच्चे थे जिन्हें देखकर कभी रामराय को दया आ गई थी । उन दोनों सपोलों को राम राय ने ही मौलना से कुरान की शिक्षा दिलवाई थी । विजयनगर की राजमाता भी गिलानी बंधुओं को अपने बेटे की तरह मानती थी । लेकिन इस दया सहृदयता का फल लाखों हिंदुओं को नरसंहार के द्वारा चुकाना पड़ा ।
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-1535 में राणा सांगा की मृत्यु के बाद गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने मेवाड़ पर हमला किया था । तब रानी कर्णावती के साथ 13 हजार महिलाओं ने जौहर किया था । ये इतिहास का कटु सत्य है कि सुल्तान बहादुर शाह अपनी किशोरवस्था में कई सालों तक मेवाड़ का अतिथि था । उसे शरण दी गई थी । रानी कर्णावती उसे भी अपने बेटे की तरह ही मानती थी । लेकिन इतिहास से हमने कभी कुछ सीखा ही नहीं ।
- पता नहीं कितने तालीकोट के युद्ध भविष्य के गर्भ में पल रहे हैं जागो हिंदू जागो ।
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