साल था 1988 .भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी नेपाल दौरे पर गए. इस दौरान उनकी पत्नी सोनिया गांधी भी उनके साथ गई.राजीव गांधी चाहते थे कि वह सपरिवार पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन के लिए जाएं. इसके लिए वह नेपाल के राजा बीरेंद्र बिक्रम सिंह से बात करने गए.
दरअसल, पशुपतिनाथ मंदिर में हिंदुओं के अलावा किसी और धर्म के लोगों को प्रवेश की अनुमति नहीं है. भारत के जगन्नाथ पुरी मंदिर और तिरुपति बालाजी मंदिर में भी ऐसी ही व्यवस्था है. इस वजह से राजीव गांधी नेपाल के राजा से सोनिया गांधी की मंदिर में सुरक्षित एंट्री का आश्वासन चाहते थे.
राजा बीरेंद्र बिक्रम सिंह इस मामले में राजीव गांधी की कोई मदद नहीं कर सके और इस मामले में पुजारियों को ऐसा आदेश देने में अपनी असमर्थता जताई. राजा बिक्रम सिंह की पत्नी और नेपाल की तत्कालीन महारानी ऐश्वर्या का मंदिर के प्रबंधन में काफी दखल रहता था और उन्हें भी गैर-हिंदुओं के मंदिर में प्रवेश पर आपत्ति थी. ऐसा माना जाता है कि सोनिया गांधी के कहने से राजीव गांधी ने इस घटना को अपने अपमान के तौर पर लिया और वह मंदिर के दर्शन एवं पूजा किए बिना ही वापस लौट आए. ज्ञातव्य है कि उस समय नेपाल दुनिया का एकमात्र राष्ट्र था . कहते हैं सोनिया गांधी होटल में आई और कैकई की तरह कोप भवन में चली गई. उसी दिन राजीव और एंटोनियो माइनो उर्फ सोनिया ने कसम खाई कि वह नेपाल के साथ साथ हिन्दू धर्म को भी बर्बाद करने वाले कदम उठाएंगे.
भारत पहुंचते ही राजीव गांधी ने अचानक भारत नेपाल के बॉर्डर को बंद कर पूर्ण नाकाबंदी कर दी. उस समय नेपाल भारत को अपना परम मित्र समझता था और वह यातायात के लिए और दुनिया के दूसरी देशो से जुड़ने के लिए सिर्फ और सिर्फ भारत के सीमा का उपयोग करता था . नेपाल को अपना तेल और विदेशों से कोई भी सामान मंगवाना होता था तो वह भारत के पोर्ट का ही इस्तेमाल करता था.
भारत द्वारा अकारण नाकाबंदी के बाद समाचार पत्रों में खबर लगातार आई कि 15 दिन तक बॉर्डर सील करने के कारण नेपाल में दवाओं की भारी किल्लत हो गई. जिसके चलते सैकड़ो बच्चे इलाज और दवाओं के बिना मर गए . हजारों अन्य मरीज भी मारे गए. नेपाल में डीजल और पेट्रोल खत्म हो गया. पूरे नेपाल में त्राहिमाम हो गया . ये हुआ सिर्फ एक विदेशी महिला एंटोनियो माइनो उर्फ सोनिया के अहंकार और हिंदू धर्म से विद्वेष के चलते.
उसके बाद नेपाल के राजनीतिक दलों ने और वहां की सरकार ने यह सोचा कि भारत पर पूरी तरह से निर्भर होना अच्छी बात नहीं है . उसके बाद सोनिया की रणनीति के चलते चीन ने हाथ बढ़ाया और उसके बाद नेपाल जैसा हिंदू राष्ट्र , भारत का परम मित्र राष्ट्र, भारत से दूर होता गया. राजपरिवार का शासन खत्म कर हिंदुओं के खिलाफ माहौल बनाया गया .माओवादी सक्रिय हुए .बाद के वर्षों में एक लोमहर्षक हत्याकांड हुआ जिसमें नेपाल के राजा बीरेंद्र ,उनकी पत्नी महारानी ऐश्वर्य सहित 9 राजपरिवार के सदस्यों की राजमहल में हत्या कर दी गई . उसका राज भी आज तक नहीं खुला.नेपाल अब भारत का सबसे करीबी राष्ट्र नहीं रहा
यह घटना इसलिए याद हो आई क्योंकि कल देर रात्रि अमेरिका के सनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 150 % से अधिक टैरिफ लगाकर चीन के उद्योग जगत में हाहाकार मचा दिया है .वहीं भारत समेत अन्य देशों पर टैरिफ कम कर पहले की तरह 10% का दिया है.
कुछ दिन पूर्व भारत पर टैरिफ बढ़ाए जाने पर मूर्ख राहुल गांधी सहित तुरंत सारे कांग्रेसी किकियाने लगे थे कि मोदी जवाब नहीं दे रहे ! मोदी खामोश हैं !! मोदी क्यों नहीं रिएक्ट कर रहे !!!
सोचिए अगर भारत भी चीन की तरह प्रेस कांफ्रेंस करके बवाल करता अमेरिका को सबक सिखाने की बात करता तो आज क्या नतीजा होता ?
लेकिन मोदी की खामोशी का असर कल दिख गया जब भारत पर टैरिफ घटने की खबर आ गई.किकियाने वाले कांग्रेसी और सोशल मीडिया के स्लीपर कांग्रेसी सेल वाले अब सब चुप हैं . इन किकियाने वाले पिल्लों का अब इतना ही कहना कि आगे से मोदी को मत सिखाना की राजनीति और डिप्लोमेसी क्या होती है
“वो जो समझ रहे थे तमाशा होगा ,
मैंने चुप रह के पूरी बाजी ही पलट दी !!!"
अबे कांग्रेसियों तुम कभी भारत पर एक छत्र राज्य करते थे और आज मोदी ने तुमको 15 साल से विपक्ष में धकेल दिया और तुम मोदी की राजनीति को चैलेंज कर रहे हो. कांग्रेस की एंटोनियो माइनो के अहंकार और नफरत के कारण नेपाल जैसा हिंदू राष्ट्र बर्बाद होकर भारत से दूर हो गया . यह ध्यान रखना होगा कि कांग्रेस के राजीव गांधी राज और मनमोहन राज में सिर्फ एक महिला यानी की एंटोनियो माइनो उर्फ सोनिया की सनक,अहंकार ,मूर्खता से भारत की विदेश नीति तय की जाती थी. आज भारत नरेंद्र मोदी और एस जयशंकर के बुद्धिमान दिमाग , मजबूत इच्छा शक्ति और राष्ट्र प्रेम की विदेश नीति के कारण पूरी दुनिया में अपना वर्चस्व रख रहा है
यह भी ध्यान रहे कि डिप्लोमेसी में हर चीज सख्ती से नहीं की जाती बल्कि डिप्लोमेसी का शब्द ही ऐसा है कि आप साम , दाम , दंड , भेद यह चारों चीजों का प्रयोग करके ही डिप्लोमेसी करें.
बाकी अमेरिका चीन का ट्रेड वार क्या रंग लाता है और भारत उन परिस्थितियों का उपयोग अपने पक्ष में कर सकता है या नहीं, यह देखना रोचक होगा..!!
वन्देमात्रम.... भारतमाता की जय..!! राष्ट्रहित सर्वोपरि...!!