सोशल मीडिया से कॉपी पेस्ट👇 लोगों के मन की आवाज माननीय तक पहुंचाने का प्रयास
माजरत के साथ कह रहा हूं जनाब मौलाना संजीव खन्ना जी जब आप अदालत में बैठते हैं तब आप भले ही हिंदू सिख जैन ना हो लेकिन आप एक आप लोग एक कट्टर मुस्लिम जरूर बन जाते हैं
आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दीजिए उसके बाद मैं मान लूंगा कि आप अदालत में बैठते हैं तो किसी भी धर्म के मानने वाले नहीं रहते
भारतीय अदालतों के कुछ दुर्लभ किससे सुनाता हूँ
1:- तीस्ता जावेद सीतलवाड़ एकदम जेल जाने वाली थी गुजरात हाईकोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी। तभी दिल्ली में बैठे कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज को फोन किया और उस जज ने उन्हें फोन की सुनवाई पर अग्रिम जमानत दे दिया।
ना भूतो ना भविष्यति। भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में आज तक किसी अभियुक्त की न फोन पर सुनवाई हुई थी ना कभी होगी
आज तक किसी हिंदू मुजरिम को सुप्रीम कोर्ट ने फोन पर जमानत क्यों नहीं दिया ?
यह सुविधा सिर्फ एक मुस्लिम मुजरिम तीस्ता जावेद को क्यों दिया गया
2:- याकूब मेमन के लिए रात को 2:00 बजे प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट के एक जज के घर पर जाते हैं और वह जज रात को 2 बजे ही सुनवाई कर देता है और बकायदा भारत सरकार के वकील को भी रात को 2:00 बजे बुलाया जाता है और 4 घंटे तक सुनवाई चलती है।
यही सुविधा धनंजय चटर्जी रंगा और बिल्ला जैसे लोगों के लिए क्यों नहीं किया गया ?
क्यों एक मुस्लिम आतंकी के लिए ही रात को 2:00 बजे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खोला गया?
3:- 8 मार्च 2020 को रविवार था इन लखनऊ में शाहीन बाग की तर्ज पर एक और शाहीन बाग बनाने वाले दंगाइयों के फोटो वाले पोस्टर लगे थे
और रविवार के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने सुओ मोटो लेते हुए लखनऊ प्रशासन को अदालत में तलब किया और बकायदा 4 घंटे बहस चली क्या दंगाइयों का पोस्टर लगाना जायज है ?
क्या किसी हिंदू के पोस्टर लगाए जाने पर किसी कोर्ट ने रविवार को सुओ मोटो लेते हुए सुनवाई किया है ?
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने कई हिंदुओं के घर पर बुलडोजर चलाईं जिसमें आज तक के पूर्व पत्रकार सुनील नामदेव का भी घर था जिसे पूरी तरह से बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने कंगना राणावत सहित कई लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाएं अशोक गहलोत ने भी कई हिंदुओं के घरों पर बुलडोजर चलाएं
तब तक भारत की न्यायपालिका बुलडोजर एक्शन को चुपचाप क्यों देख रही थी और क्यों भारत की न्यायपालिका तब जागी जब योगी सरकार ने बुलडोजर एक्शन लेना शुरू किया ??
यह मामले में एक बात समान है कि भारत की वामपंथी न्यायपालिका सिर्फ उनके लिए ही चिंतित है जो देश विरोधी गद्दार या वामपंथी विचारधारा के हैं .. कभी कोई हिंदूवादी नेता के लिए आज तक भारत की अदालतें चिंतित नहीं हुई है .. क्या उनका कोई हक नहीं है ?? कश्मीरी पंडित अपने जमीन से खदेड़ दिए गए... हजारों कश्मीरी पंडित कश्मीर में मार दिए गए... गिरजा टिक्कू से शुरू हुआ कश्मीरी लड़कियों का बलात्कार न जाने कितनी कश्मीरी महिलाओं और लड़कियों के बलात्कार पर खत्म हुआ.. दो दशकों तक कश्मीरी पंडित दिल्ली में टेंट में रहे पूरा बंगाल जल रहा है बंगाल के हिंदू जल रहे हैं तीन हिंदुओं की हत्या हो गई हजारों हिंदू शरणार्थी बन गए हैं आज तक भारत के सुप्रीम कोर्ट के किसी जज ने suo-moto नहीं लिया
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम और पलायन की याचिका यह कहकर सुनने से मना कर दिया कि इस घटना के 30 साल हो चुके हैं जबकि कई मामले में जिसमें पीड़ित मुस्लिम है आपने 40 साल बाद भी मामले की सुनवाई की है
थूकता हूं भारत की ऐसी न्यायपालिका पर
जबकि सच्चाई यही है कि आप लोगों को हिंदुओं से नफरत है
आप लोग अपनी प्रॉपर्टीज का विवरण भी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर नहीं डालते
आप लोगों को गल्फ देशों से मुस्लिम संगठनों से मोटा पैसा मिलता है
एक हाईकोर्ट के जज के घर करोड़ों रुपए मिले आप लोगों ने उसे बचा लिया FIR तक नहीं दर्ज होने दी क्योंकि आप लोग उसके एहसान तले दबे थे उसे जज ने आप लोगों के घरों में न जाने कितने बोरे पहुंचाए होंगे
इसीलिए कृपया खुद को निष्पक्ष करने का ढोंग मत करिए
ये भारत की जनता है सब जानती है कि सच क्या है