ब्राह्मण-राजपूत-बनिया के ख़िलाफ़ अभद्र/आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले इस समूह में एक भी गरीब, वाल्मीकि, भील, भिलाला, सहरिया, असली दलित आदिवासी नहीं होंगे।लिख कर ले लो सब के सब गरीब पीड़ितों का हक छीनकर टैक्सपेयर के भीख में पढ़ने वाले अधेड़-लठैत ही होंगे। यही सबसे अधिक अत्याचार करते हैं। यही आतंक मचाते हैं। यही समाज में नफरत का जहर घोलते हैं।
अब जरूरत है इन नफ़रतियों के ख़िलाफ़ खुलकर बोलने की। इन्ही का टेस्ट इन्हें को देने का। जबतक इन जैसे मानसिक दिवालिया या ये कहें ज़ोम्बियोन को हिंदू जवाब नहीं देंगे तब तक ये हिंदुओं की सहिष्णुता को नपुंसकता समझ अपना नंगा नाच करते रहेंगे
हमें इस और अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है अन्यथा बहुत देर हो जाएगी। मुसलमानों से 100% अधिक यह हिंदू धर्म का हनी कर रहे हैं
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