माधुरी गुप्ता भारतीय विदेश सेवा की वरिष्ठ अधिकारी थी ।वह 52 साल की थी लेकिन अविवाहित थी उसने इजिप्ट मलेशिया जिंबॉब्वे इराक लीबिया सहित तमाम देशों में वरिष्ठ पदों पर काम किया था। उर्दू पर अच्छी पकड़ के लिए उसे पाकिस्तान भेजा गया जहां उसे वीजा के साथ-साथ मीडिया प्रभार भी दिया गया था
पाकिस्तान में तैनात होने वाले सभी अधिकारियों पर इंटेलिजेंस की पूरी नजर रहती है। एक पार्टी में माधुरी गुप्ता को जमशेद उर्फ जिमी नमक 30 साल का एक युवक मिला उसे युवक ने अपनी वॉकपटुता और हाजिर जवाबी से माधुरी गुप्ता का दिल मोह लिया और माधुरी गुप्ता उसे युवक के प्यार में पड़ गई इतना ही नहीं माधुरी गुप्ता ने इस्लाम तक कबूल कर लिया
इंटेलिजेंस की नजर माधुरी गुप्ता पर और तेज हो गई उनके ईमेल और फोन सर्विलांस पर लगा दिए गए तब पता चला कि माधुरी गुप्ता जमशेद के प्यार में देशद्रोही बन गई है और वह भारत की गुप्त सूचनाएं जमशेद को बता रही हैं
दरअसल जमशेद ISI का जासूस था ISI ने ही उसे ट्रेनिंग देकर माधुरी गुप्ता को फंसाने के लिए लगाया था , क्योंकि ISI को जब पता चला कि 52 साल की उम्र में माधुरी गुप्ता अविवाहित है, तो उन्हें जरूर उन्हें किसी साथी की तलाश होगी ।
उसके बाद उन्हें बहाने से भारत बुलाया गया और दिल्ली उतरते ही गिरफ्तार कर लिया गया उन्होंने जब सब सबूत देखा तब जुल्म स्वीकार किया उन्हें 3 साल की सजा हुई ।
लेकिन कोविड महामारी के दौरान कुछ समय के लिए उन्हें जेल से जमानत मिल गई और वह गुमनामी में अजमेर चली गई, और फिर खबर आई की गुमनामी में ही माधुरी गुप्ता का निधन हो गया, उसे कोविद डायबिटीज और दूसरी कई बीमारियां एक साथ हो गई ।
उसका अंतिम संस्कार भी मोहल्ले वालों ने और नगर निगम ने किया उसके मरने के बाद ना तो कोई रोने वाला था ना कोई दूसरे और संस्कार करने वाला था ।
ये सत्य और बीती कहानी शेयर करने का मुद्दा और सोचने की बात ये है कि इतनी पढ़ी-लिखी और इतने वरिष्ठ पद पर तैनात 52 साल की मेच्योर महिला भी लव जिहाद में फंस जाती है,
तो फिर हम चौदह पन्द्रह सोलह साल की मासूम बच्चियों से कैसे उम्मीद करें कि वो किसी मकड़जाल में न फंसे ❓
हर बार लवजेहाद की हर घटना पर और लव-जेहाद में हत्या पर ज्यादातर प्रतिक्रिया यही होती है कि , अच्छा हुआ, हमें उससे कोई हमदर्दी नहीं ,
जबकि हम हिन्दुओं का लगभग रोज ऐसी घटनाओं से सामना हो रहा है ।
कब तक बचेंगे ये कहकर कि अच्छा हुआ
कब तक अपराधी पक्ष हमारे ये कहने के कारण हौसले बुलंद रखेगा ? कब तक हम एक शिकार को ही अपराधी मनाकर अपने आप न्यायाधीश बने रहेंगे कि , क्योंकि उसने ऐसा किया था तो उसको सजा मिल गई?
कब तक हम हैवानों के लिए कहते रहेंगे कि उनसे बचकर रहो।