अभी केजरीवाल दिल्ली में भले ही चुनाव हार गया हो लेकिन उसका 43% वोट ले आना ये बताता है कि वो अभी पूरी तरह से बेजान नहीं हुआ है.असल में , अपने भारत में सांप को तबतक मरा हुआ नहीं माना जाता है जबतक कि उसका मुँह का कुचला जाए.
शायद इसीलिए, कल चुनाव नतीजों के ट्रेंड दिखते ही तुरत दिल्ली सचिवालय को सील कर दिया गया और वहाँ की हर फाइल और कंप्यूटर एक्सेस को सीमित कर दिया गया ताकि उसमें कोई छेड़छाड़ न की सके.साथ ही, अपने स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा ये कहा जाना कि... सरकार बनते ही हम हर घोटाले की जांच करवाएंगे तथा लूटा गया एक-एक पैसा वापस लाएँगे"ये बताने के लिए काफी है कि इस घायल सांप की मुँह कुचलने की पूरी तैयारी है.
और, जहाँ तक जनता की बात है तो ये हम सब जानते हैं कि जनता की यादाश्त कितनी होती है.इसीलिए, यदि भाजपा ने सच में इन आपियों को जेल भेजकर मीडिया में उसका पूरा प्रचार करते हुए अभी 5 साल ठीक ठाक भी शासन चला लिया तो यकीन जानें कि अगली विधानसभा चुनाव में इन आपियों का कोई नामलेवा तक नहीं बचेगा.
क्योंकि, पिछली जाँच में ही बिचौलिए के तौर पर सौरभ भारद्वाज और आतिशी का नाम आ रहा था जो ज्यादा तूल नहीं पकड़ा.लेकिन, अब चूँकि अब वे सरकार में नहीं हैं और केंद्र तथा राज्य में एक ही सरकार होने के कारण हर फाइल तक इनकी डायरेक्ट एक्सेस रहेगी इसीलिए मुझे लगता है कि अब इन पापियों के बचने की संभावना नगण्य है.
साथ ही समझने लायक बात ये भी है कि इस पार्टी के लोगों के पास सत्ताहीन रहने का कोई अनुभव नहीं है बल्कि ये कहें कि लोग सत्ता के लालच में ही इस पार्टी से जुड़े थे..इसीलिए, सत्ताच्युत हो जाने के बाद भी निष्ठा के साथ कितने लोग इस पार्टी में जुड़े रहते हैं वो देखना भी दिलचस्प होगा.
कहीं ऐसा न हो कि... केजरीवाल गैंग को सजा होते ही इस पार्टी में भगदड़ की स्थिति पैदा हो जाये अथवा इस पूरी पार्टी की ही किसी अन्य पार्टी में विलय जाए.