देश की न्यायसंहिता तथा धर्मशास्त्रों के अनुसार पूरी तरह से फर्जी अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य घोषित किए जाने से सभी दशनामी संन्यासी अखाड़े नाराज थे और आज भी हैं. दरअसल शंकराचार्य की नियुक्ति की एक प्रक्रिया है और संन्यासी अखाड़ों की सहमति के बाद काशी विद्वत परिषद शंकराचार्य की नियुक्ति करती है. लेकिन यह कांग्रेसाचार्य जबरन शंकराचार्य बना था और आज भी बना हुआ है। 15 अक्टूबर 2022 को ही देश का सर्वोच्च न्यायालय इसके शंकराचार्य बनने पर रोक लगा चुका हैं
16 जुलाई 2015 को बनारस में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ अपने चेलों और कांग्रेसी नेता और वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और कांग्रेसी नेताओं के साथ चौराहे पर धरनाबाजी नारेबाजी कर के हिंदू धर्म की सेवा में जुटा था नकली शंकराचार्य और असली कांग्रेसाचार्य अविमुक्तेश्वरानंद। धरने से पहले ये BHU में प्रदर्शन के बहाने पत्थरबाजी कर रहे कांग्रेसी गुंडों के जत्थे में भी शामिल था।
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