मकर संक्रांति के अमृत स्नान में एक अजीब वाकया देखने को मिला। कुछ लोग अपनी तुच्छ मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए महाकुंभ मेला क्षेत्र में पोस्टर लेकर खड़े थे कि हमारा महाकुंभ एक पाखंड है और ऐसे ही और सारे और माईक से अलाउंस भी कर रहे थे। और अपने तर्क से संबंधित किताबें भी बांट रहे थे। वहां से कुछ हमारे महान नागा संन्यासी गुजर रहे थे। उन्हें धर्म का अपमान और सनातन संस्कृति का अपमान सहन नहीं हुआ और उन्होंने कर दिया वह इलाज जिसके लिए वह जाने जाते हैं। अर्थात हमारे धर्म का अपमान हमारी सनातन संस्कृति का अपमान नहीं सहेंगे हम।
हमारे संत ही ऐसे दुष्टों को ठीक करेंगे ।।ये कोई आया था प्रयाग में मेरे कुंभ को अंधविश्वास बता रहा था।। फिर क्या मेरे भारत के सूरवीर नागाओं ने धुनाई कर दिया।।।जय हिंदू धर्म जय सनातन संस्कृति जय हो ऐसे साधु संतों की 👏👏और क्या उनकी हिम्मत है कि किसी दूसरे धर्म के मेले में ऐसे पोस्टर यह ले जाएंगे, यह गद्दार सिर्फ हमारे धर्म में ही पैदा होते हैं और फिर अपने ही धर्म को यह नीचा दिखाते हैं
मैं इन अंधविश्वास वहां से पूछना चाहता हूं कि तुमने अपना डीएनए चेक करवाया था क्या या तुम्हें सिर्फ यह कह दिया गया कि तुम फैलाने के बेटे हो तुम्हारी मां ने बता दिया तुम्हारे बाप ने बता दिया लेकिन तुमने उनकी बात का विश्वास किया और अपना डीएनए चेक नही करवाया हो तब तो तुम अंधविश्वास की बात कैसे कर सकते हो यदि तुमने उनकी बात का अंधविश्वास कर लिया और मान लिया
यदि तुमने उन पर अंधविश्वास कर लिया तो फिर दूसरों को कैसे कह सकते हो अंधविश्वास का, फिर सबके अपने-अपने विश्वास है
यानी कि हमें विश्वास है और बिल्कुल अंधा विश्वास है हमारे मां-बाप पर की हम उनके ही बैटे हैं यानी हमें यह अंधविश्वास है क्योंकि हमने वैज्ञानिक तरीके से तो जांच नहीं करवाई कि हम उनके बेटे हैं भी या नहीं है यानी हमें अंधविश्वास है
उसको तुम अंधविश्वास कैसे नहीं मानते हो