उपनिषदों में पंचकोशीय शरीर के बारे में बहुत कुछ बताया गया है विवेकचूड़ामणि ग्रन्थ में आदि शंकराचार्य ने विस्तार से पंचकोशीय शरीर के बारे में लिखा है ।
पंचकोशीय शरीर में पाँच कोश है-
१-अन्नमय शरीर
२-प्राणमय शरीर
३-मनोमय शरीर
४-विज्ञानमय शरीर
५-आनन्दमय शरीर
अन्नमय शरीर ही हमारा मुख्य शरीर या स्थूल शरीर है। प्राणमय शरीर हमारा सूक्ष्म शरीर है जिसमें metabolism =उपापचय होता है ।
इसके दो आयाम है उपचय=anabolism और अपचय =catabolism.। उपापचय ही प्राण का क्रियान्वयन है।
हमारे शरीर को चलाने के लिए है हमारा चित्त ।
चित्त के तीन अंश है-
१-मन
२-बुद्धि
३-अहंकार
मन को हम सिर्फ लक्षणों के आधार पर तय नहीं कर सकते।
मनोमय शरीर का आधार है मन।
मन के छह आयाम है--
१-अनुभूति =अहसास Perception
इसके लक्षण है-
ध्वनि, स्पर्श, रूप, रस और गन्ध
Perception अनुभूति के विकृति से होता है भ्रम = illusion और विभ्रम hallucination। मन का पहला आयाम है अनुभूति =अहसास =Perception =Feeling ।
इसी के विकृति से होता है भ्रम= illusion और विभ्रम =hallucination ।
किसी वस्तु को और कुछ समझ लिया है तो वह भ्रम= illusion जैसे रस्सी को साँप समझ लेना भ्रम है।
संस्कृत साहित्य में इसे कहते हैं- "रज्जवो सर्पभ्रमः"।
बिना किसी वस्तु के कुछ और समझ लेना विभ्रम =hallucination है, जैसे schizophrenia बीमारी में होता है ।
भ्रम मन का उपज नहीं है । भ्रम तो मन की अनुभूतियों की विकृति से होता है ।
२-आवेग = Emotions = Affect
३-आचरण = Behaviour
४- स्मृति = Memory
५- चिन्तन = Thought
६- तृप्ति = Satiety
तृप्ति का सम्बन्ध भूख, प्यास, कामेच्छा (libido) , ध्यानेच्छा, जिज्ञासा, जिजीविषा, रिरंसा (जीने की इच्छा) इत्यादि इच्छा से है । इसी के विपरीत भाव को राजयोग में "विपर्यय" कहा गयाहै ।
चित्त का दूसरा अंश है "बुद्धि" । Intelligence.
विज्ञानमय शरीर का आधार है बुद्धि ।
बुद्धि के चार आयाम है-
१-भावपूर्ण बुद्धि Anstract thinking या Abstract Intelligence
इसके छह उपभाग है-
क्रियात्मक बुद्धि, यान्त्रिक बुद्धि, मौखिक या Verbal बुद्धि, सांख्यिक arithmetic बुद्धि, शैक्षणिक या educational बुद्धि और विश्लेषक या analytical बुद्धि ।
२- अन्तर्दृष्टि = insight
३- विकल्प = alternative
४- निर्भ्रान्ति = Lack of Delusion
चित्त का तीसरा अंश है अहंकार ।
आनन्दमय शरीर का आधार है अहंकार
अहंकार के छह आयाम है-
१-अस्तित्व Existence
२- अस्मिता Ego
३-जागृति =जागरण,जागरुकता और निद्रा Arousal
४- न्याय Justice
५- प्रतिक्रिया Reaction
६- प्रमाण Proof
किन्तु आत्मा इनसे अलग है ।
अणु परमाणु का गठन एक मीटर के परार्धतम लम्बाई यानी करोड़वाँ हिस्से के करोड़वें हिस्सा है ।
जबकि कोशिका की लम्बाई एक मीटर की मात्र दस लाखवें हिस्से के बराबर है ।
आत्मा के लिये ब्रह्मसूत्र के द्वितीय अध्याय में सूत्र है - "ज्योतिदर्शनाच्च" यानि photon के बराबर है यानी परमाणु के भी करोड़वें हिस्से का करोड़वाँ हिस्सा के बराबर है ।
परमाणु से भी सूक्ष्म है आत्मा ।
शुभमस्त!