मदरसे जो सरकारी अनुदान से अर्थात हमारे टैक्स के पैसों से चलते हैं , माना जाता है कि वहां शिक्षा दी जाती है लेकिन कई मदरसों से ऐसी कई खबरें सामने आ चुकी हैं जिससे ऐस लगता है मानों इन मदरसों का प्रयोग एक मानसिकता द्वारा किसी और ही काम के लिए किया जाता है। अब खबर श्रावस्ती से है जहां एक मदरसे से नकली नोट गैंग कार्यरत थी जिसे पुलिस ने पकड़ लिया...
एक मुल्ला और उसकी 5 जोरू मिलकर मदरसे से नकली नोटों का कारोबार चला रहे थे , मुल्ला नोट छापता और उसकी 5 जोरू उन नोटों को मार्केट में खपाती। इसके पहले भी मदरसों से अनेकों अनैतिक गतिविधियों की खबरें आ चुकी हैं और हम हर बार प्रशासन यही निवेदन करते हैं कि देश के हर मदरसे की जांच होनी चाहिए .. न जाने कहां किस प्रकार की गतिविधि को अंजाम दिया जा रहा हो...
उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती में एक मदरसा संचालक अपनी पाँच बीवियों के जरिए नकली नोट का धंधा चला रहा था। वह प्रिंटर से ही मदरसे के भीतर नकली नोट छापता था और फिर अपनी बीवियों को पकड़ा देता था। इसके यह जगह-जगह यह नोट खपा देती थीं। उसके गैंग में 4 और लोग शामिल थे। पुलिस ने उनके पास से नकली नोट छापने की मशीन और हजारों के नकली नोट बरामद किए थे। उनके पास से अवैध हथियार भी बरामद हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रावस्ती के हरदत्त नगर इलाके में लक्ष्मणपुर इलाके में चल रहे एक मदरसे में हाल ही में छापा मारा। यहाँ से मदरसे के संचालक मुबारक अली और उसके गुर्गे पकड़े गए। इनके पास से ₹34500 नकली नोट बरामद किए। इसके अलावा इनके पास से एक प्रिंटर भी बरामद हुआ। साथ ही नोट छापने की और सामग्री भी मिली। इनके पास से एक तमंचा भी मिला। पुलिस ने इनसे पूछताछ की तो असलियत का खुलासा हुआ।
पुलिस ने बताया कि मदरसा संचालक मुबारक अली इस गैंग का सरगना था, यही नोट छापने का पूरा काम देखता था। यह नोट पहले प्रिंटर से मदरसे के एक कमरे में छापे जाते और फिर इनको असली नोट जैसा दिखाने के लिए तैयार किया जाता। नोट छापने के लिए अच्छे क्वालिटी का कागज भी यूज होता था। यह ₹500 के अलावा छोटे नोट भी छापते थे ताकि किसी को शक ना हो। मुबारक अली की पाँच बीवियाँ हैं। इनमें से दो अलग-अलग जगह मदरसों में ही पढ़ाती हैं। मुबारक अली फर्जी नोट छाप कर इन पाँचों को देता था।
इसके बाद यह बाजार में यह नोट खपा देती थीं, इसके लिए यह रात के अँधेरे का फायदा उठाती थी। उसकी बीवियों पर पुलिस ने अभी कार्रवाई नहीं की है। गैंग में शामिल बाकी लोग भी यही काम करते थे। मुबारक अली ने यह नोट छापना यूट्यूब से सीखा था। उसके गैंग में जलील, धर्मराज, अवधेश और रामसेवक हैं। इनमें से कुछ पर आपराधिक मुकदमे भी दर्ज हैं। इनके पास से ₹500, ₹200 और ₹100 के नकली नोट पाए गए हैं। इनके पास ₹14500 के असली नोट भी मिले हैं।
यह सिर्फ नकली नोट छाप कर खुद नहीं चलाते थे बल्कि दूसरों को भी इस धंधे में शामिल होने को लेकर झाँसा देते थे। यह उन्हें ₹1000 के बदले ₹2000 के बकली नोट देने का वादा करते थे। पुलिस अब इस मामले में जाँच कर रही है। वह पता लगा रही है कि इस धंधे में और कौन शामिल रहा है।