हाल ही में पूर्व में बॉलीवुड एक्ट्रेस रही ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के रूप में नियुक्त किया गया और इसके बाद से भी आमजनमानस तो छोड़िए अपितु संत समाज की तरफ से भी विरोधाभासी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं यहां तक कि किन्नर अखाड़े की ही एक अन्य महामंडलेश्वर ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वरबनाए जाने का विरोध किया...धीरेंद्र शास्त्री जी ने भी इस कदम को अनुचित बताया
धीरेंद्र शास्त्री जी ने एबीपी न्यूज से बातचीत के दौरान कहा कि जब तक उसके अंदर वो साधुत्व और संतत्व प्रकट ना हो जाए। शास्त्री ने कहा कि बेझिझक हम ऐसी किसी भी चीज से सहमत नहीं है। धीरेंद्र शास्त्री से पहले किन्नर महामंडलेश्वर हेमांगी सखी मां ने इस पर गहरी आपत्ति जताई थी। उन्होंने टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह अखाड़ा किन्नर समाज के लिए बना था, लेकिन इसमें अब महिला को स्थान दे दिया दया है। अगर ऐसा ही करना है, तो इसका नाम बदलकर दूसरा कोई नाम रख लो।
महामंडलेश्वर हेमांगी सखी मां ने आगे कहा कि इस महाकुंभ में कई सेलेब्रिटी आए स्नान करने लेकिन हमने कोई भी कमेंट नहीं किया लेकिन आज करना पड़ रहा है। इसका कारण है कि ममता कुलकर्णी जैसी फिल्मस्टार का संबंध डी कंपनी से रहा और ड्रग के आरोप में जेल गईं।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि हम स्पष्ट रूप से इस मत में नहीं है कि किसी को भी उसके प्रभाव में साधु या मंडलेश्वर या फिर महामंडलेश्वर नहीं कह सकते हैं।
योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा अभिनेत्री रहीं ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर भी प्रतिक्रिया दी है. कहा कि, कुछ व्यक्ति, जो कल ही सांसारिक सुखों में लिप्त थे, अचानक संत बन जाते हैं या एक ही दिन में महामंडलेश्वर जैसी उपाधियाँ भी प्राप्त कर लेते हैं." बाबा रामदेव ने कहा कि, 'एक दिन में कोई संतत्व को उपल्बध नहीं हो सकता. उसके लिए वर्षों की साधना लगती है. हम लोगों को इस साधुता को पाने में 50-50 वर्षों का तप लगा है. इसको संतत्व कहते हैं. साधु होना बड़ी बात है. महामंडलेश्वर होना तो बहुत बड़ा तत्व है. आजकल मैं देख रहा हूं कि किसी की भी मुंडी पकड़कर महामंडलेश्वर बना दिया. ऐसा नहीं होना चाहिए.
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी ने अभिनेत्री ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने पर कहा कि जब कोई अभिनेत्री संत बनती है, तो समाज उसकी प्रशंसा करता है। लेकिन जब संत कथा कहते हैं, तो लोग उस पर ध्यान नहीं देते। यह समाज की भक्ति और अध्यात्म के प्रति सोच को दर्शाता है।