किसी भी देश के मुखिया को अपने देश के उद्योगपतियों से अच्छे संबन्ध रखने ही चाहिए। अपने देश के उद्योगपति न केवल देश में रोजगार देते है, देश को टैक्स देते हैं बल्कि कई बार बैक डोर डिप्लोमेसी में दो राष्ट्रों के बीच संबंध सुधारने में सहायक भी होते है।अगर मोदीजी की देश के किसी उद्योगपति से मित्रता है तो यह उनकी दूरदर्शिता है क्योंकि वे देश की अर्थव्यवस्था में उद्योगपतियों के महत्व को समझते है। मोदीजी के अडानी से अच्छे संबन्ध होना स्वाभाविक भी है अनिवार्य भी।
मगर मुझे समझ नहीं आता राजीवजी के यूनियन कार्बाइड वाले वॉरेन एंडरसन से क्या संबन्ध थे जो उसे भोपाल में हजारों लोगों की मृत्यु के बाद भी देश छोड़कर भागने दिया?या राहुलजी के जॉर्ज सोरोस से क्या संबन्ध है जो उससे मिलने को उतावले रहते है? जॉर्ज सोरोस भारत को क्या देता है? राहुलजी के लिए जॉर्ज अच्छा और गौतम बुरा? क्यों? इसके पीछे गोरी चमड़ी की मानसिक गुलामी है, देश और हिंदुत्व के प्रति घृणा है या देश को बर्बाद करने की इच्छा?