किसी नेता की शालीनता से राष्ट्र नहीं चलता। यदि कैबिनेट मंत्री राष्ट्र को लाखों करोड़ का चूना लगा रहे हों और आप शालीन मौन ओढ़ें तो वह राष्ट्रधर्म और नैतिकता के विरोध में है। यह तो वही बात हो गई कि राहुल गाँधी के डिम्पल बड़े मनभावन हैं, इसलिए उनके द्वारा मनमोहन जी का अध्यादेश फाड़ना अपमान की जगह सम्मान कहा जाएगा!
हम मृतक का अपमान नहीं करना चाहते, परंतु उसके व्यक्तित्व के अवगुणों को गुण कह कर बताया जाए, तो चुप नहीं रहना चाहिए। मनमोहन सिंह की कुछ विशेषताएँ रही होंगी, परंतु राष्ट्र को जितनी क्षति इस व्यक्ति के प्रधानमंत्री काल में हुई है, वह अनन्य है।
साभार : भाई अजीत भारती
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