महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों ने सभी को बिल्कुल भौचक्का कर दिया, ना BJP ने इतनी सीटों का अनुमान लगाया होगा और न ही महाविकास आघाड़ी ने ऐसी भयानक हार की कल्पना की होगी। हां संघ को अंदाजा होगा क्योंकि जो मेहनत उन्होंने ग्राउंड पर की उसे कोई नकार नहीं सकता। अब एक तरफ जीत का माहौल है तो दूसरी तरफ EVM का र&₹ रोना... लेकिन कुछ और भी बातें इस चुनाव रिजल्ट में ध्यान देने लायक है
इस चुनाव में असली और नकली की भी पहचान सामने आ गई, लोग समझ गए कि असली शिवसेना और NCP कौनसी है तथा नकली शिवसेना और NCP कौनसी है। इस चुनाव में चुनाव प्रतिशन बड़े ये अत्यंत सुखदाई है क्योंकि % बढ़ना यानी हिंदू राष्ट्रवादी वोट बढ़ना होता है। साथ ही इस चुनाव परिणाम ने ये भी बता दिया को हिंदू कुछ कुछ समझ गए हैं कि "बंटेंगे तो कटेंगे" इसलिए एकजुट होकर दमदार वोटिंग की है। मनसे का खाता तक नहीं खुला जो अपना CM बनाना चाह रहे थे यानी हिंदू बिल्कुल नहीं बंटे.. अब विपक्ष जनता के निर्णय को ललकार रहा है..
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति (बीजेपी, शिंदे गुट की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी) ने प्रचंड जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। 288 सीटों वाली विधानसभा में महायुति ने 200 से अधिक सीटें जीती हैं। अकेले भाजपा ने 127 सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि शिंदे गुट की शिवसेना 55 और अजित पवार की एनसीपी 37 सीटों पर आगे है।
यह जीत न केवल महायुति के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि विपक्ष के लिए करारी शिकस्त भी है। वहीं, हार से बौखलाए विपक्षी नेता ईवीएम, सरकार और पूंजीपतियों पर दोष मढ़ते नजर आ रहे हैं। संजय राउत ने तो इसे जनता पर ‘थोपा गया नतीजा’ तक बता दिया। यही नहीं, सपा से एनसीपी-शरद पवार में आए फवाद अहमद की एक्ट्रेस बीवी स्वरा भास्कर ने तो ईवीएम पर ही उंगली उठा दी और मशीन में खराबी का घिसा-पिटा राग अलापने लगी।
महाविकास आघाड़ी की हार के साथ ही सामने आई बौखलाहट
महायुति की प्रचंड जीत ने महाविकास आघाड़ी (एमवीए) को हिलाकर रख दिया है। आघाड़ी सिर्फ 55 सीटों तक सिमटती दिख रही है। हार से आहत एमवीए के नेता अब हार के लिए बाहरी कारणों को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने नतीजों पर सवाल उठाते हुए कहा, “यह जनता का फैसला नहीं हो सकता। पूरी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ है।” उन्होंने अडानी के नाम का जिक्र करते हुए भाजपा पर भ्रष्टाचार के मामलों से ध्यान भटकाने का आरोप भी लगाया।
राउत ने कहा, “शिंदे के सारे उम्मीदवार कैसे जीत सकते हैं? यह नतीजे जनता पर थोपे गए हैं।” उन्होंने लाडली बहन योजना का मजाक उड़ाते हुए कहा, “यहाँ लाडले नाना, दादा और भाई हैं। असली जनता का मन ऐसा नहीं हो सकता।”
तहसीन पूनावाला ने संजय राउत को आड़े हाथ लिया
कॉन्ग्रेस समर्थक और राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने हार के लिए एमवीए और विशेष रूप से संजय राउत को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “राउत हार का ठीकरा ईवीएम और उद्योगपतियों पर फोड़ रहे हैं, जबकि असल में वह खुद एमवीए की छवि खराब करने के लिए जिम्मेदार हैं। उनकी बयानबाजी ने गठबंधन की छवि खराब की।”
स्वरा भास्कर ने ईवीएम पर उठाए सवाल
चुनाव के नतीजों के बीच अणुशक्ति नगर सीट पर स्वरा भास्कर के शौहर फहाद अहमद को हार मिली है। 19 में से 18 राउंड की गिनती पूरी होने पर वो 1500 वोटों से पिछड़ गए थे, जिसके बाद स्वरा ने ईवीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर कहा, “पूरा दिन मतदान के बावजूद EVM मशीन 99 percent चार्ज कैसे हो सकती है? जैसे ही ये मशीनें खोली गईं, एनसीपी (बीजेपी समर्थित) को वोट मिलने लगे। चुनाव आयोग इस पर जवाब दे।”
कॉन्ग्रेस में कलह: पृथ्वीराज चव्हाण ने लीडरशिप पर उठा दिए सवाल
चुनावी नतीजों के बीच कॉन्ग्रेस में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, जो खुद दक्षिण कराड़ सीट से पीछे चल रहे हैं, ने कॉन्ग्रेस नेतृत्व को सीधे निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “हमारी लीडरशिप बेहद खराब रही। शायद यही हार का बड़ा कारण है।”
चव्हाण ने आरएसएस की रणनीति और भाजपा के अनुशासन की तारीफ करते हुए कहा, “आरएसएस की मदद से भाजपा ने अपना वर्चस्व स्थापित किया। इसके विपरीत, कॉन्ग्रेस में समन्वय और योजना का अभाव था।”
स्वरा का यह बयान भी विपक्ष के नेताओं की उस नाराजगी को दर्शाता है, जहाँ हार का ठीकरा तकनीक और प्रक्रिया पर फोड़ा जा रहा है।
महायुति की रणनीति: भाजपा की ताकत और सहयोगियों का साथ
इस जीत में भाजपा की रणनीति और सहयोगी दलों के तालमेल ने बड़ी भूमिका निभाई। भाजपा ने 148 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 127 पर बढ़त हासिल की, जो 85 percent की स्ट्राइक रेट है।
शिंदे गुट की शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर मजबूत मोर्चा बनाया और मराठा क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की। वहीं, अजित पवार की एनसीपी ने पश्चिमी महाराष्ट्र और शहरी क्षेत्रों में अपना प्रभाव बनाए रखा।
एमवीए की हार के प्रमुख कारण
संगठन में कमजोरी: एमवीए की तीनों पार्टियों (कॉन्ग्रेस, एनसीपी-शरद पवार और शिवसेना उद्धव गुट) के बीच तालमेल की कमी थी।
भाजपा की रणनीति: भाजपा ने विकास और सामाजिक योजनाओं, जैसे लाडली बहन योजना, का कुशल प्रचार किया, जिससे उसे जनता का समर्थन मिला।
अंतर्कलह: कॉन्ग्रेस और एमवीए के अन्य दलों में आरोप-प्रत्यारोप ने जनता के बीच नकारात्मक संदेश भेजा।
महायुति की आक्रामक प्रचार नीति: महायुति ने चुनावी प्रचार में स्थानीय मुद्दों और विकास को प्रमुखता दी, जबकि विपक्ष इन मुद्दों पर कमजोर दिखा।
आगे का रास्ता
महायुति की इस ऐतिहासिक जीत ने महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण स्थापित कर दिए हैं। भाजपा इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की नीतियों की जीत बता रही है। दूसरी ओर, महाविकास आघाड़ी को अपनी कमजोरियों पर आत्ममंथन करना होगा। हार के कारणों का विश्लेषण और संगठन को पुनर्गठित करना एमवीए के लिए अनिवार्य है।
चुनाव परिणाम महाराष्ट्र में भाजपा के बढ़ते दबदबे और कॉन्ग्रेस की कमजोर होती पकड़ का स्पष्ट संकेत हैं। विपक्ष को अब संगठनात्मक सुधार पर ध्यान देना होगा, तो उसे जनता से जुड़े मुद्दों पर भी काम करने की जरूरत है, वरना महाराष्ट्र में भाजपा का वर्चस्व और मजबूत होगा।