धार्मिक विविधता का सम्मान करते हुए देश की प्रमुख एयरलाइन एअर इंडिया ने फैसला किया है कि वह अब गैर-मुस्लिम यात्रियों को हलाल माँस नहीं परोसेगी। एअर इंडिया हलाल खाना उन्हीं लोगों को खिलाएगी जिन्होंने इसे चुना होगा। एअर इंडिया ने इसको लेकर नियम जारी किए हैं।
एअर इंडिया की उड़ानों में हलाल खाने के अलावा, ग्लूटेन-फ्री भोजन, मांसाहारी भोजन, शाकाहारी भोजन, जैन भोजन, कोशर भोजन, हिंदू भोजन और बाकी विकल्प भी शामिल किए हैं। एअर इंडिया का यह कदम सभी धर्मों और उनके खाने के प्रति प्राथमिकताओं को लेकर बड़ा कदम है।
एयर इंडिया द्वारा उठाया गया कदम स्वागत योग्य है क्योंकि यह उन लोगों पर हलाल खाना नहीं थोपता जो इसे नहीं खाना चाहते। इसे पहले, एअर इंडिया की उड़ानों और असल में तो बाकी जगह हलाल मांस ही लगातार परोसा जा रहा था। ऐसा इसलिए था क्योंकि हिंदू और सिख अक्सर यह नहीं पूछते थे कि यह मांस कैसे तैयार किया गया है।
इसके विपरीत, मुसलमान अपने खाने-पीने और इसके तैयार किए जाने के बारे में विशेष रूप प्रश्न करते हैं और उसी जगह खाते हैं जहाँ यह नियम पालन किए गए हों। वह उन जगहों पर नहीं खाते जहाँ हलाल मांस नहीं परोसा जाता है। इसको जबरदस्ती थोपे जाने को लेकर बीते कुछ सालों से हिन्दुओं और सिखों ने प्रश्न उठाने चालू किए हैं। अब एअर इंडिया केवल मुसलमानों बल्कि सभी समुदायों के खाने की प्राथमिकताओं का सम्मान करने वाली कुछ एयरलाइन में से एक बन गई है।
भारत विविधताओं का देश है। यह जरूरी है कि हर धर्म के लोगों को अपने हिसाब से खाने की स्वतंत्रता हो। एअर इंडिया की वेबसाइट पर अब उपलब्ध मेनू में धर्म और भोजन की प्राथमिकताओं के आधार पर अलग-अलग धर्मों के लिए अलग-अलग विकल्प हैं। इनमें जैन और हिन्दू के साथ ही शाकाहारी और फलाहारी भोजन का विकल्प भी मौजूद है।
क्या है हलाल?
हलाल और हराम दो शब्द हैं। हलाल का मतलब है जिसकी अनुमति हो और हराम का मतलब है जिसकी अनुमति ना हो। हलाल मुस्लिमों के खाने-पीने के सामान और विशेष कर मांस से सम्बन्धित है। यानी जो हलाल उत्पाद हैं, उन्हें मुस्लिम खा सकते हैं। जो उत्पाद या हराम हैं, उन्हें मुस्लिम नहीं खा सकते।
मांस का हलाल होना इस बात का प्रमाणन है कि वह उसी तरीके से काटा गया है, जैसा इस्लामी किताबों में बताया गया है। यानी मांस काटने की एक निश्चित इस्लामी विधि ही हलाल है। मांस का हलाल होना इस बात से प्रमाणित होता है कि उस पशु को किसने काटा है, कैसे काटा है, किस दिशा में काटा है और उसको काटने वाले का मजहब क्या है।
हर धार्मिक पसंद का हो सम्मान
एअर इंडिया नए नियमों के बाद अब भोजन के कई प्रकार उपलब्ध कराएगा। हालाँकि, यह ध्यान देने वाली बात है कि कोशर खाना, कोशर-प्रमाणित और हलाल खाना, हलाल-प्रमाणित किचन में बनाया जाता है। बाकी जैन या हिन्दू भोजन सामान्य किचन में बनाया जाता है, इसके लिए कोई प्रमाणन नहीं किया जाता है।
ऐसे में अगला कदम किचन काउंटरों का विभाजन किया जाए और यह बात पक्की की जाए कि शाकाहारी और मांसाहारी खाना अलग-अलग तरीके से तैयार किए जाते हैं। ऐसे में सभी के खाने की आदतों का सम्मान करना संभव होगा। एअर इंडिया का यह कदम आगे इन सब चीजों का रास्ता प्रशस्त कर सकती है।
हलाल के साथ ही उसकी काफी बड़ी एक अर्थव्यवस्था भी चलती है। एअर इंडिया के अलावा बाकी एयरलाइन और बाकी जगहों पर जो लोग मुस्लिम नहीं हैं और फिर भी हलाल खाते हैं, वह जाने-अनजाने में अपने बिल का एक हिस्सा हलाल को दे रहे होते हैं। यदि एअर इंडिया के नक्शेकदम पर बाकी एयरलाइन और रेस्टोरेंट जैसी जगहें चलें तो इसमें भी कमी आएगी।
यह लेख मूल रूप से अनुराग ने अंग्रेजी में लिखा है, इसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
Air india का सराहनीय कार्य किया है, इसी प्रकार सनातनी हिन्दुओं के राष्ट्र मे मौजूद देशी विदेशी कंपनी का भी दायित्व है कि देश के बहुसंख्यक समाज के हित का ध्यान रखें धन्यवाद
ReplyDeleteजय श्रीराम
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