सनातनियों एक ऐसा चक्रव्यूह जो दिन-रात आपके चारों ओर रचा जा रहा है आपकी कालोनी, मकान दुकान, जमीन, महिलाएं और बहन बेटियों को हरने के लिए कब्जे के लिए, कैसे,पूरा पढ़ें।👇👇
आपने देश के लगभग हर जगह मजारें देखी होगी.हालांकि, दिख रहे मजारों में 99.9% फर्जी होती है... लेकिन, फिर भी क्या आप जानते हैं कि आखिर सनातनियों के इलाके में भी ये मजारें बन कैसे जाती है ??
उनका मजार बनाने का तरीका बेहद सिस्टेमेटिक है...!
मान लो... आप किसी सनातनी बहुल इलाके में रहते हो... जहाँ कटेशर-फटेशर का नामोनिशान नहीं है.
लेकिन, ... कुछ समय बाद वहाँ पर सड़क किनारे कोई कंजर सा फटेहाल भिखारी दिखाई देने लगेगा जो सबसे भीख मांगता रहेगा..
हालांकि, वो सिर्फ दिन में ही भीख मांगेगा और शाम में वो कहीं और चला जायेगा.
इसीलिए, अधिसंख्य लोग उसपर ध्यान नहीं दे रहे हैं कि... बेचारा गरीब है तो मांगने दो.
फिर, वो एक दो-दिन रात में भी नहीं जाएगा और वहीं सड़क किनारे प्लास्टिक या चादर बिछा कर सो जाएगा.
इसके बाद वो लगातार वहीं सोने की आदत बना लेगा.
तदुपरांत... वो सड़क किनारे 1-2 हरा झण्डा गाड़ लेगा.
आप उसपर अभी तक ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि जब आप उसे बोलने जाते हैं तो वो रो-रो कर अपनी गरीबी और मानवता का दुहाई देने लगता है.
और, फिर आपको भी लगता है कि इसका क्या है... जब चाहेंगे धकिया के भगा देंगे.
इसीलिए, आप भी निश्चिन्त रहते हैं.
लेकिन, झंडा गाड़ने के कुछ समय बात वो थोड़ी सी जगह में 2-4 ईंट रखकर उसपर हरा चादर ढक देगा और आपको लगेगा कि शायद वो अपने पूजा पाठ के लिए ऐसा किया होगा.
फिर, वो 2-4 ईंट बढ़ते बढ़ते 20-40 ईंट में बदल जाएगी...
और, हो गया मजार तैयार.
इसके साथ ही कल जो भिखारी था अब आपके इलाके का मौलवी बन चुका है और आपके ही आस पड़ोस के लोग अब वहाँ अपनी मन्नतें मांगने के लिए वहाँ अगरबत्ती-दीया आदि जलाने लगे हैं.
फिर.. आप चाह कर भी उस मजार को वहाँ से नहीं हटवा सकते क्योंकि अगर गलती से आपने ऐसी कोशिश भी की तो... पहले तो आपके आस-पड़ोस वाले ही आपका विरोध करने लगेंगे.
और, हो सकता है कि समाज में सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के चार्ज में आप अंदर भी हो जाएं.
इसीलिए, अब वो मजार वहाँ पर पक्का हो चुका है...!
कहने का मतलब है कि... आपको अक्ल हो या न हो...
लेकिन, सामने वाले को पूरी अक्ल है.
और, वे स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ते हैं.
फिर, जबतक बात आपको समझ आती है तब तक चीजें आपके हाथ से निकल चुकी होती है.
ये सिर्फ मजारों के रूप में आपके जमीन का अतिक्रमण तक ही सीमित नहीं है...
बल्कि, बहुत ही सलीके से आपके धर्म और पर्व त्योहारों का भी अतिक्रमण कर रहे हैं.
एक छोटा सा उदाहरण दीपावली और पटाखों का ही लेते हैं...
सन 2001 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाली गई कि दीपावली में रात भर होते रहने वाले पटाखों के शोर के कारण सोना मुश्किल होता है..
इसीलिए, ऐसा करने से रोका जाए.
तो, इसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सुझाव दिया कि पटाखे केवल शाम 6 से 10 बजे तक मात्र चार घण्टे के लिए फोड़े जाए.
साथ ही इसको लेकर जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों में बच्चों को बताया जाए.
ध्यान रहे कि.... ये केवल एक सुझाव वाला निर्णय था ना कि पटाखे फोड़ने पर आपराधिक निर्णय.
साथ ही मजेदार बात यह थी कि ये सुझाव केवल दीपावली पर ही था क्रिसमस और न्यू ईयर पर नहीं.
(मतलब कि उन्होंने भीख मांगने के लिए एक कंजर सा फटेहाल भिखारी आपके मुहल्ले में बिठा दिया)
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का ये सुझाव किसी ने नहीं माना लेकिन उसका विरोध भी नही किया. जो कि करना चाहिए था
इससे उनका मनोबल बढ़ गया और 2005 में फिर और एक याचिका लगी.
इस बार कोर्ट ने पटाखो को ध्वनि प्रदूषण से जोड़कर आपराधिक कृत्य बना दिया अर्थात रात 10 बजे के बाद पटाखे फोड़ना आपराधिक कृत्य हो गया.
(मतलब कि अब वो भिखारी रात में प्लास्टिक बिछा कर सोने लगा)
लेकिन, हिन्दूओं आपने ने फिर भी विरोध नही किया... उल्टे बहुत लोग खुश भी गए कि चलो अब 10 बजे के बाद आराम से सोयेंगे.
उधर स्कूलों के माध्यम से लगातार बच्चों के अंदर दीपावली के पटाखों से प्रदूषण ज्ञान दिया जाने लगा.
इसके बाद 2010 में NGT की स्थापना हुई और 2017 में तीन NGO एक साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उन्होंने दीपावली के पटाखो को ध्वनि और वायु प्रदूषण के लिए खतरनाक बताते हुए तत्काल प्रभाव से बैन करने की मांग की.
परिणामस्वरूप, पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने पहला बड़ा निर्णय देते हुए दिल्ली में पटाखो की बिक्री पर रोक लगा दी.
(मतलब कि उन्होंने 10-20 ईंट लगाकर उसे हरी चादर से ढक दिया)
लेकिन, फिर भी हिंदुओ ने तब भी कोई विरोध नही किया... बल्कि, प्रदूषण के नाम पर समर्थन ही किया.
क्योंकि, तबतक स्कूलों में सिखाई गई बात बच्चे भी बोलने लगे थे कि... पटाखों से वायु प्रदूषण होता है इसीलिए, पटाखे नहीं चलाने चाहिए.
लेकिन, बात इतने पर ही नहीं रुकी बल्कि इन सबसे उत्साहित होकर वे 2018 में पुनः कोर्ट पहुंच गए.
और, इस बार पटाखे फोड़ने पर ही बैन लगा दिया गया और झुनझुने के रूप में ग्रीन पटाखे पकड़ा दिए.
और वो मजार यानी कि (आपका सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार दीवाली) आपकी छाती पर आपके ही न्यायालय द्वारा फीका कर दिया गया।
80000 करोड़ का भारतीय मिठाई उद्योग जो कि लाखों लोगों को रोजगार और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है अब निशाने पर हैं बहुत सालों से एक विज्ञापन आप सबने देखा होगा
कुछ मीठा हो जाए और उसके बाद दिखाया जाता है एक अमरीकी कम्पनी की चाकलेट जिसमें घटिया पामोलीन तेल और भरपूर कैमिकल होते हैं और
अब भगवान वेंकटेश्वर के प्रसाद में मिलावट के नाम पर प्रशासन को खुली छूट दे रखी है असली कार्य को छोड़कर छोटे छोटे दुकानदारों को परेशान किया जा रहा है परन्तु जिन लोगों ने भगवान के प्रसाद में घटिया चर्बी युक्त घी का प्रयोग किया और अनुमति दी ऐसे लोगों को कोई टारगेट नही कर रहा, असली अपराधियों को बचाया जा रहा है आओ सनातनियों इस षड्यंत्र को समझें और असली अपराधियों को फांसी की सज़ा दिलाने का संकल्प लें, इस सब के लिए सिर्फ और सिर्फ हिमाचल के लोगों क तरह हिम्मत और एकता चाहिए ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर कोई सरकार काम नहीं करेंगी।
जय सियाराम