वामपंथियों के NGO पर उपराष्ट्रपति का बड़ा हमला!जो NGO रोज सड़को पर रहते थे आज उन्हें सांप सूंघ गया है!छोटे-छोटे मुद्दों पर सड़क पर आंदोलन करने वाले NGO कोलकाता रेप कांड पर कहां गायब हैं! 9 अगस्त 2024 को जो जघन्य अपराध कोलकाता में हुआ उस पर बोलने में इनकी आत्मा मर चुकी है।कोलकाता में जो घटना हुई है वो बर्बर से भी बर्बर है।
आखिरकार उपराष्ट्रपति जी ने जनता के मन की बात देश के सामने रख दी। छोटी छोटी बातों पर सड़को पर नाचने वाले NGO आखिर कलकत्ता रेप के मामले में कहां चले गए हैं? आखिर क्यों वो इस बर्बर मामले पर न्याय की मांग नहीं कर रहे? वैसे ये कोई इकलौता मामला नहीं बल्कि NGO भी राजनीति एजेंडों के हिसाब से ही काम करते हैं ये देश ने अनेकों बार देखा है।