हिमाचल के इतिहास में पहली बार, 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स के खाते में 1 तारीख को न सैलरी आई, न ही पेंशन। हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के कारण पहली बार ऐसा हुआ है, जब कर्मचारियों और पेंशनरों को पहली तारीख को पैसा नहीं दिया गया है।94 हजार करोड़ के कर्ज में डूबी हिमाचल में कांग्रेस सरकार!
मात्र तीन राज्यों तक सिमटी कांग्रेस अपने राज्यों को संभाल नहीं पा रही है, सरकार बनने से पहलेऔ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेसियों ने की लोक लुभावने झांसे दिए जैसे-
खटाखट - महिलाओं को 8500 रूपय प्रतिमाह
ठकाठक- युवाओं को रोजगार
टकाटक- बुजुर्गों को पेंशन
सरकार बनने के 3 माह के अंदर ही कांग्रेस का दम निकल रहा है।
- हिमाचल में हालत खस्ता,
- तेलंगाना में निकल रहा है तेल,
- कर्नाटक में कमरतोड़ महंगाई!
कहां है झूठों के सरदार राहुल गांधी? हिमाचल, तेलंगाना और कर्नाटक की जनता जवाब चाहती है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की समझदार जनता को तो पहले से ही कांग्रेस की नीति और नियत पर शक था इसलिए उसने कांग्रेस को यहां पनपे तक की जगह नहीं दी।
हिमाचल सरकार पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज और 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदारियां बकाया है। सरकार की आमदन्नी का ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन, पुराने कर्ज का बयान व पुराना कर्ज लौटाने में खर्च हो रहा है।
कॉन्ग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश भारी आर्थिक संकट में फंस गया है। आर्थिक संकट इतना गहरा गया है कि 2 लाख कर्मचारी सितम्बर महीने में अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। राज्य के पेंशनर भी अपनी पेंशन से वंचित हैं। हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार इस संकट से उबरते नहीं दिखाई दे रही है।
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