ये हसन नसरूल्लाह है.. हिजबुल्लाह का लीडर जो कल मारा गया.. आप इसकी शक्ल देखिए.. इसके पीछे लिखी कुरआन की आयत देखिए.. और इसका पहनावा देखिए..देखकर आपको लगेगा कोई धार्मिक व्यक्ति है.. कोई इस्लामिक संत जैसा.. मगर सोचिए ये कर क्या रहा था..
चालीस हज़ार लड़ाकों की फ़ौज बना के इस्राइल पर हमला करके नरसंहार करने जा रहा था.. जिसमें ये मासूम बच्चों और इंसानों को मारता और फिर उनकी औरतों का अपने लड़ाकों से रेप करवाता.. ये सारा काम क़ुरआन की आयत लगे बैनर के आगे बैठ के होता है
इ$लाम मजहब के आने के बाद सारी दुनिया धर्म और राजनीति को लेकर बड़े भ्रम में पड़ गई थी.. क्योंकि इ$लाम के पैगंबर के जाने के बाद जो ख़लीफा लोग राज में आए, वो और उनके लड़ाके अLलाह का नाम लेकर, क़ुrआन की आयतें पढ़ते हुए एक के बाद एक देशों पर हमला करके उन्हें अपने अधीन कर रहे थे.. और जिन पर हमला होता था वो समझ ही नहीं पाते थे कि ये धर्म का विस्तार है इनके या सत्ता का.. क्योंकि वही मौलवी जो मस्जिद में नमाज़ भी पढ़ा रहा होता था, वही तलवार लेकर लड़ने भी पहुंच जाता था.. उसके पहले ये अजूबा किसी धर्म में नहीं हुआ था.. मंदिरों, मठों और चर्चों में रहने वाले लोग कभी तलवार नहीं उठाते थे.. ईसाइयों का क्रुसेड हुआ मगर पादरी और नन तलवार लेकर नहीं निकले.. इ$लाम ने धर्म और सत्ता के बीच की जो एक बची कुची शर्म थी, वो ख़त्म कर दी थी
भारत में भी ऐसे ही हुआ था.. हमलावरों को लेकर जैसे ही लोग अपने बचाव की योजना बनाते या आक्रामक होते, उन्हीं हमलावरों के बीच से एक "सूफ़ी" निकल आता था और वो दर्शन और आध्यात्म की चाशनी घोलकर लोगों को पिलाने लगता था.. और लोग बेवकूफ़ बन जाते थे.. तभी आप आज भारत में देखिए, तमाम गाज़ी, जो कि हमलावर थे, उनकी मज़ारों को आज हिन्दू पूज रहा है.. ये ऐसा कन्फ्यूजन था जिसे भारत की आम जनता समझ ही नहीं पा रही थी.. वही हमलावर जो हमें मारने आया था, वही सूफ़ी और गाज़ी घोषित हो जाता था और जनता युद्ध भूलकर उसकी मज़ार पर माथा टेकने लगती थी.. देखिए कल ही महबूबा मुफ्ती ने इस नसरूल्लाह को शहीद घोषित कर दिया है.. ऐसे ही यहां हुआ था.. जो आतंकी था उसे ऐसे ही शहीद घोषित करके कुछ ही सालों में उसकी मज़ार पूजवाने लगते थे
इस्राइल के सैनिक और योद्धा "तोरह" हाथ में लेकर और उसके बैनर तले युद्ध नहीं लड़ रहे हैं.. ये उनके धर्म और सत्ता का विस्तार नहीं है.. ये उनके अस्तित्व की लड़ाई है.. ये लड़ाई ऐसे बहुरूपियों से है जो साम, दाम, दंड, भेद के साथ कोई भी रूप धारण करके लड़ने चले आयेंगे.. ये लड़ाई उस धांधली और झूठ से है जो कि उनकी हजारों साल पुरानी विरासत को अपना बता कर हथियाने की होड़ में चौदह सौ साल से लगा है।।
जय जय श्री सीताराम!!