श्रीमद्भागवत गीता को मात्र एक पवित्र ग्रंथ बोल देने या मान लेने से काम नहीं होगा, हमें उतनी ही कटिबद्धता से इस ग्रंथ को पढ़ इसका अनुसरण करना चाहिए जितनी कटिबद्धता से कट्टरपंथी अपने कथित ग्रंथ को अपनाते हैं। कोई विनाश कर रहा है तो हम कल्याण के लिए गीता अपना सकते हैं।
भगवद्गीता पढ़ने एवं सुनने के 10 महत्वपूर्ण फायदे, जो आपकी जीवन यात्रा को प्रभावित करते हैं...
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01. गीता के नियमित पाठ से हमारा मन शान्त रहता है।
02. हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं।
03. हमारे सोचने और समझने की शक्ति में वृद्धि होने लगती है।
04. सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी खुद-ब-खुद बनने लगती है।
05. हमारे अंदर का सारा भय दूर हो जाता है और हम निर्भय बन जाते हैं।
06. गीता हमारे अंदर के भ्रम को दूर करके हमारा साक्षात्कार से परिचय कराती है।
07. यह हमारे ज्ञान की सीमा को ख़त्म करके हमारे दिमाग के ढक्कन को खोल देती है।
08. गीता हमें बताती है कि ये मानव जीवन कितना महत्वपूर्ण है।
09. गीता का नियमित पाठ करने वाला व्यक्ति हमेशा प्रसन्न और भयमुक्त रहता है।
10. गीता को नियमित पढ़ने एवं सुनने वाला पुरुष एक दिन महापुरुष बन जाता है।
भगवान् श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को सुनाया गया यह गीता का उपदेश समस्त मानव जाति के कल्याण का मार्गदर्शक है। यह हमें बताता है कि हम कौन हैं, कहाँ से आये हैं, यहाँ पर कैसे रहना है और एक दिन फिर कहाँ जाना है। 5 हज़ार 5 सौ साल पहले इसमें जो बातें कही गयी थी वो आज भी उतनी ही कारगर सिद्ध होती हैं ! यह एक ऐसा संविधान है जिसमे अभी तक कोई संशोधन नहीं हुआ है और ना ही कभी होगा, क्योकि इसके रचयिता स्वयं भगवान श्री कृष्ण हैं।
भगवद्गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि जो मानव इस ग्रन्थ का नियमित पाठ करेगा और लोगों को भी इसके बारे में बताएगा वह मुझे प्रिय होगा और मुझको प्राप्त कर पायेगा।
भगवद्गीता मात्र पढना नहीं है, उसका समुचित अभ्यास करना है। यह करने से जीवनमें आमूल परिवर्तन आ जाता है, यह हमारा निजी अनुभव है। हमारी सोच बदलती है। सबसे पहला फायदा तो क्रोध कम हो जाता है। जीवनमें आई विषम परिस्थितिओं से बिना विचलीत हुवे समता से उनका सामना करनेका धैर्य आता है। सबसे बड़ा फायदा मौत का डर निकल जाता है। इसके अलावा अनगिनत फायदे हैं जिसकी फेहरिश्त बहोत लम्बी हो सकती है।
गीता मात्र जानने का शास्त्र नहीं है, अनुभूतिका शास्त्र है। गीता के बारे में सटिक कुछ कहना गूँगेके गुड़ बराबर है। गूँगेने गुड खा तो लिया लेकिन बता नहीं पायेगा उसका स्वाद! हमारे कई स्वाध्यायीयों का निजी अनुभव है कि जीवनमें धीरे धीरे आमूल परिवर्तन आ जाता है, आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप कैसे बदल गये। जरूरत है लगातार लगे रहने की, भगवद्गीता फास्ट फूडकी तरह नहीं है, इतना अवश्य जानें।
भगवत गीता सनातन धर्म का आधार है और हिन्दू इसी को अपना जीवन जीने का माध्यम भी मानते है, भगवत गीता हमे बताता है की जीवन कैसे जीना चाहिए और अनमोल वचन भी बताता है जो हमे अपनी जिंदगी में लागू करने चाहिए ! भगवत गीता में पुरे कलयुग का वर्णन है और पूरा जग समाहित है और यह बताता है की कैसे परम् पिता परमेश्वर को पाया जा सकता है, तो आइये आज हम आपको बताएंगे श्री कृष्ण जी के कुछ अमूल्य वचन जो हर किसी को अपने जीवन में अपनाने चाहिए...
01. जिनके मन में शंका है वो ना इस संसार में चैन पाता है न ही दूसरे संसार में।
02. बुद्धिमान व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक ही मानता है।
03. कर्म करना हमेशा खाली बैठे रहने से अच्छा है।
04. क्रोध से माया उत्पन्न होती हैं और माया से बुद्धि का विनाश होता है । एक बार जब विचारों का नाश होता हैं उस वक्त सब खत्म हो जाता हैं।
05. जो अपनी सोच को नियंत्रित नहीं रख पाते उनकी सोच उन्ही की दुश्मन बन जाती है।
06. भगवान की शक्ति आपके पास हमेशा मानसिक कार्यों, अहसास एवं श्वास के रूप में हैं। जिसका उपयोग आप हमेशा करते हैं।
07. गुस्सा, लालच और वासना तीनो ही नर्क के द्वार है।
08. सम्मानित व्यक्ति के लिए उसका अपमान मृत्यु से बुरा है, क्यूंकि दुनिया अपमान की ही बात करती है।
09. हर व्यक्ति अपनी सोच के अनुसार विश्वास बनाता है।
10. अशांत मन को काबू में करना मुश्किल है, लेकिन बार बार प्रयास से यह संभव है।
11. जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है, इसलिए सत्य का दुःख मनाना व्यर्थ है।
12. अव्यवहारिक कार्य बहुत ज़्यादा तनाव उत्पन्न करता है।
13. जो वास्तविक नहीं है उस से मत डरो, वो न कभी था ना ही होगा और जो वास्तविक है वो हमेशा है और हमेशा रहेगा, उसे कोई नष्ट नहीं कर सकता।
14. दिव्य पुरुष और स्त्री के लिए कचरे का ढेर, पथर और सोना सब समान है।
15. एक बुद्धिमान व्यक्ति को जीवन का सुख कामुकता से नहीं मिलता।
16. जो व्यक्ति अपने ज्ञान से भीतर के अज्ञान को तलवार से काटकर उसका वध करके अनुशासन में रखे उसके लिए संसार का कोई भी काम असम्भव नहीं है।
17. कर्म का फल इंसान को उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे कोई बछड़ा सैकड़ों गायों के बीच भी अपनी मां को ढूंढ लेता है।
18. मनुष्य का कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करता है।
19. आत्मा मनुष्य के शरीर को वैसे ही छोड़ देती है, जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतार कर नए कपड़े धारण कर लेता है।
20. इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है सब कुछ अस्थायी है।
21. मान, अपमान, लाभ हानि खुश होना या दुखी होना यह सब मन की शरारत है ।
22. वर्तमान परिस्थिति में जो तुम्हारा कर्तव्य है, वही तुम्हारा धर्म है।
23. जो इस ज्ञान में विश्वास नहीं रखते, मुझे प्राप्त किये बिना जन्म और मृत्यु के चक्र का अनुगमन करते हैं ।
24. इंसान नहीं उसका मन किसी का दोस्त या दुश्मन होता हैं।
25. क्रोध मुर्खता को जन्म देता हैं, अफवाह से अकल का नाश और अकल के नाश से इंसान का नाश होता हैं।
26. किसी भी काम में आपकी योग्यता को योग कहते हैं।
27. मोहग्रस्त होकर कर्तव्य पथ से हट जाना मूर्खता है, इससे ना तो तुम्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी और ना ही कीर्ति बढ़ेगी ।
28. मन बहुत चंचल हैं, जो इंसान के दिल में उथल-पुथल कर देता हैं।
29. भगवान सभी लोगो के मन में बसते हैं और अपनी माया से उनके मन को जैसा चाहे वैसा घड़े की तरह घड़ते हैं।
30. मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो, फिर सब तुम्हारा और तुम सबके हो।
31. तू करता वही हैं जो तू चाहता हैं, होता वही है जो मैं चाहता हूँ। तू वही कर जो मैं चाहता हूँ फिर होगा वही जो तू चाहता हैं।
32. खाली हाथ आये हो और खाली हाथ जाना हैं, इसलिए व्यर्थ की चिंता छोड़कर व्यक्ति को हमेशा सद्कर्म करना चाहिए।
33. मुझे जानने का केवल एक हीं तरीका है मेरी भक्ति, मुझे बुद्धि द्वारा कोई न जान सकता है न समझ सकता है ।
गीता पढ़ने से क्या लाभ है?
गीता एक रूप में सिर्फ कथा या ग्रंथ मात्र नहीं है असल में गीता एक संवाद है और गीता इतिहास का सबसे अच्छा और पुरातन मनोवैज्ञानिक ग्रंथ है जो पूर्णता सत्य पर आधारित है, ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं जिसके मन में कोई प्रश्न या दुविधा उत्पन्न ना होती हो ऐसे में गीता हमें उन प्रश्नों से बाहर निकाल कर, उनका पूर्ण और दीर्घकालीन समाधान प्रस्तुत करती है…
नए भारत का वैश्विक संकल्प...
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