तमिलनाडु के मुख्यमंत्री MK स्टालिन के मंत्री बेटे उदयनिधि ने सनातन धर्म को डेंगू-मलेरिया बताते हुए इसे खत्म करने का आह्वान किया था। अब राज्य के परिवहन मंत्री SS शिवकुमार ने भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। उन्होंने कहा कि न तो इसका कोई इतिहास है और न ही कोई सबूत है कि श्रीराम का कोई अस्तित्व था। सम्राट राजेंद्र चोल की जयंती के अवसर पर उन्होंने ये बात कही। अरियालुर स्थित गंगईकोंडा चोलपुरम में हर साल इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष K अन्नामलाई ने DMK नेता के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे भगवान श्रीराम को कुछ दिनों पहले ही तमिलनाडु के कानून मंत्री S रघुपति ने ‘सामाजिक न्याय के सर्वोच्च झंडाबरदार’ बताया था, वहीं अब कुछ ही दिन में DMK की याददाश्त गुम हो गई है। उन्होंने दोनों मंत्रियों को आपस में बैठ कर मामला सुलझाने की सलाह दी। SS शिवशंकर ने कहा था कि ये तमिलों का कर्तव्य है कि वो राजेंद्र चोल जैसे महान सम्राट को सम्मान दें, वरना हमें ऐसी चीजों की पूजा करने के लिए कहा जाएगा जिनसे हमारा कोई लेना-देना नहीं।
2022 से ही राजदंड चोल की जयंती को सरकारी कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है। मंत्री ने कहा कि हम उनके द्वारा बनाए गए मंदिरों, ताम्बे के प्लेट्स और उनकी प्रतिमाओं को सबूत के रूप में देखते हैं। उन्होंने आगे कहा कि श्रीराम को अवतार बताया जाता है, जबकि अवतार का कभी जन्म नहीं हो सकता और अगर किसी का ईश्वर के रूप में जन्म हुआ है तो वो अवतार नहीं है। उन्होंने कहा कि रामायण महाभारत तमिल लोगों के लिए नहीं है, उनमें कोई नैतिकता नहीं है।
अब DMK नेता TKS एलंगोवन ने अपने मंत्री के बयान का बचाव करते हुए कहा है कि राम भगवान नहीं थे, बल्कि मनुष्य थे। उन्होंने राम को ‘कृष्ण का अवतार’ बताया, जबकि राम और कृष्ण दोनों ही विष्णु के अवतार थे। उन्होंने कहा कि मंत्री SS शिवशंकर ने ये नहीं कहा कि कोई राम को न मानें। उन्होंने कहा कि DMK एकमात्र पार्टी है जो 90 percent हिन्दुओं के भले के लिए काम कर रही हैं जिनका धार्मिक लोगों ने शोषण किया, उन्हें मंदिर में घुसने की इजाजत नहीं थी। TKS एलंगोवन ने OBC और SC/ST की बात करते हुए कहा कि हम हिन्दू परंपराओं के खिलाफ लड़ रहे हैं।