बांग्लादेश में डेढ़ करोड़ हिन्दू हैं।उनके लिए प्रार्थना करने की जरूरत नहीं है क्योंकि प्रार्थना से कुछ नहीं होता प्रार्थना आपको बचा नहीं सकती पूर्व तैयारी बचाती है।
इनमें से जिनकी पूर्व तैयारी थी, वे बच सकते हैं शेष लोग जो इस खुशफहमी में थे कि वे भले हैं तो जग भला, उनका कुछ नहीं हो सकता उन्हें भूल जाओ।
आपकी भी पूर्व तैयारी #एक_दिन आपको बचा सकती है वह "दिन" यहाँ भी आएगा और जरूर आएगा, बल्कि वह 4जून 2024 को तय हो चुका था बस वो टल गया संसार की रीत बड़ी निर्मम है।
सभ्यताओं के संघर्ष में कोई प्रार्थना काम नहीं करती।बंग हिन्दू के दारुण अंत की कथा 1947 में ही लिख दी गई थी।फिर वह अंत किश्तों में होता गया।पाकिस्तान में यह फटाफट हो गया क्योंकि वहां 23% थे।बंग्लादेश में 35% थे तो समय लगा।आप अभी शेष भारत में 69% हैं।अपना केलकुलेशन कर लीजिए।
यथार्थ से मुंह मोड़कर खुशफहमी में जीना मूर्खता है।बीच रणभूमि थोथी प्रार्थना का कोई औचित्य नहीं।तैयारी कीजिए।निर्मम दुनिया में सर्वाइव करने को तैयारी कीजिए।यहूदी डेढ़ करोड़ के आधे ही है। जब तक प्रार्थना के भरोसे थे, मरते गये। तैयारी में आये, बचे रह गए।