ऑलम्पिक में वो पूनिया के पर्सनल सिस्टम से गई होगी? सुनो, सुशील कुमार भी पदकधारी थे, उसकी कुश्ती के मेडल आज भी भारत की पदक तालिका में गिने जाते हैं, पर वो हत्या के अपराध में जेल में है।
विनेश ने जो तब माँगा (अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बिना ट्रायल के आगे जाएँ), वो तब भी अनुचित था, आज गोल्ड जीते तब भी अनुचित ही रहेगा।
वो गोल्ड जीतेगी हम उसे सर पर बिठाएँगे, वो राजनीति करेगी, तो राजनैतिक तथ्यों के हिसाब से ही आलोचना होगी। उसके लिए सम्मान एक खिलाड़ी के तौर पर था और रहेगा। किसी के प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने पर चलेगी, तो लोग उसी मानदंड पर आँकेंगे।
बजरंग पूनिया की बकलोली यह है कि वो ‘सिस्टम से हार गई’ ऐसे कह रहा है मानो विनेश कुश्ती लड़ने जा रही थी और सरकार ने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया, उसे जुलाब की गोलियाँ खिला दी और उसकी कार का टायर पंचर करा दिया!
खिलाड़ी का सम्मान खेल के लिए है, किसी काल्पनिक कथन के लिए नहीं कि फलाँ नेता ने साल भर में हजारों लड़कियाँ छेड़ दीं, वह भी तब जब आपने उसकी बड़ाई पहले की हो।