हम शियाओं को मुसलमान नहीं मानते, शिया बेकार लोग हैं. हमारे दो ही त्यौहार हैं, ईद और बकरीद, इनके अलावा हम कोई और त्यौहार नहीं मनाते।बेकार लोग मोहर्रम मनाते हैं, हम न वहां जाते हैं, न उनसे मिलते हैं.
: मोहम्मद नवाब क़ुरैशी, सुन्नी मुस्लिम
यही है इनकी सोच ये अपने अलावा किसी को सही मानते ही नहीं ये चाहते हैं की जो इनकी सोच का हो बस वो रहे बाकी सब नष्ट हो जाएं और इसके अनगिनत उदाहरण ये प्रस्तुत कर चुके है। पहले काफिरों को निपटाएंगे फिर आपस में लड़ेंगे , किसी भी हाल में शांति नहीं रहने देंगे। इसलिए जो कन्वर्ट होकर सोच रहे हैं की शांति से रहेंगे तो को मूर्ख नही महा मूर्ख हैं