उत्तराखंड में उपचुनाव में मंगलौर से कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन की जीत हुई जिसके बाद से ही उपद्रव देखने मिल रहा हैं। एक तरफ तो खुलेआम काजी के मुश्लिम समर्थकों ने सारे नियम कानून को ठेंगा दिखाकर हंगामा किया और दूसरी तरफ हिंदुओं को निशान बना कर उनपर हमला किया। यही तो होता है जब हिंदू अल्पसंख्यक और कथित शांतिप्रिय लोग बहुसंख्यक हो जाते हैं।
इस प्रकार की घटनाएं हिंदुओं के लिए एक प्रकार से उनकी आंखें खोलने जैसी है लेकिन पता नहीं क्यों हिंदुओं की आंखें खुल ही नहीं रही। अब जहां यह हिंसक मानसिकता बहुसंख्यक हो चुकी है वहां तो कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन अन्य जगहों पर हिंदुओं को अपने क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए और अपनी पीडिया का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए इस मानसिकता से दूरी बनानी होगी इसका पूर्ण बहिष्कार करना होगा अन्यथा दुष्परिणाम आज नहीं तो कल भगत ने ही पड़ेंगे यही कर्म फल विधान है
उत्तराखंड के मंगलौर से नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन की रैली के दौरान उनके गुंडों ने हिंदुओं के घर को निशाना बनाया है. इस दौरान कुछ लोग घायल हुए हैं. लोगों ने मंगलौर पुलिस से कार्रवाई की मांग को लेकर रातभर हंगामा किया. बताया जा रहा है कि घटना रात लगभग 10 बजे के आसपास की है.
जानकारी के अनुसार, इस दौरान पुलिस के साथ धक्का-मुक्की हुई. वहीं,कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन के समर्थकों को शांत कराने के लिए पुलिस काजी निजामुद्दीन के समक्ष हाथ जोड़ती नजर आई. मामले में एसपी देहात भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है
जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड के मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुद्दीन तीन बार मंगलौर से विधायक बन चुके है.बता दें कि काजी राजस्थान कांग्रेस के सह प्रभारी है. उनके पास संगठन में राष्ट्री सचिव की जिम्मेदारी है. काजी निजामुद्दीन ने साल 2002 में बसपा से मंगलौर सीट से पहला चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. 2007 के चुनाव में वह फिर से बसपा के बैनर तले चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की. इसके बाद उनको बसपा से निष्कासित कर दिया गया था.
2012 के चुनाव में वह कांग्रेस के टिकट पर मंगलौर विधानसभा के चुनाव में उतरे और बसपा से हाजी सरवत करीम अंसारी ने उनको चुनाव हरा दिया. इसके बाद 2017 में काजी निजामुद्दीन ने कांग्रेस के टिकट पर मंगलौर से जीत हासिल की