केरल सरकार ने खुद का विदेश सचिव नियुक्त कर दिया है.
भारत के इतिहास में ऐसा प्रथम बार हुआ है कि किसी राज्य ने अपना खुद का विदेश सचिव नियुक्त किया हो जबकि संविधान के अनुसार विदेश नीति केंद्र सरकार का विषय है...
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उधर ममता बैनर्जी ने बांग्लादेश में चल रहे दंगों का कारण देकर बांग्लादेशी शरणार्थियों को बंगाल मे शरण देने का बयान दे दिया जिस पर बांग्लादेश सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है...
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इंडी गठबंधन की सरकार वाले राज्यों ने नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार किया और ममता बनर्जी ने बैठक से वॉकआउट करने के बाद कहा कि वह "हिंदुस्तान की सरकार" से अच्छे संबंध बनाए रखना चाहती हैं. मानो बंगाल की सरकार और भारत की सरकार दो अलग देशों की सरकारें हों...
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पंजाब की राजनीतिक पार्टी अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने संसद में मांग की है कि पाकिस्तान से व्यापार करने के लिये वाघा बॉर्डर और हुसैनीवाला बॉर्डर खोली जाएं...
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कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अपने राज्य का अलग झंडा बनाने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित करके पहले ही भेज चुकी है...
अब तो यह बिल्कुल स्पष्ट है की लगातार तीसरी बार विपक्ष में आ जाने से हताश होकर यह लोग अब भारत गणराज्य के टुकड़े-टुकड़े कराने को तैयार हो गए हैं...
ये चिंगारी इस लिए लगा रहे हैं ताकि तामिलनाडु, कश्मीर, पश्चिम बंगाल, केरल जैसे राज्यों में स्वायत्ता प्राप्त करने की होड़ लग जाए
और भारत कमजोर और अशक्त हो जाए...
पता नही कैसे कैसे ग'द्दार भरे पड़े हैं इस देश में...
काश भारत विभाजन के समय "जनसंख्या के पूर्ण ट्रांसफर, की बाबा साहेब अंबेडकर की सलाह मान ली गई होती तो तुष्टीकरण वोट बैंक के चक्कर में देश को तोड़ने पर उतारू सेकुलर लोग ऐसा दुस्साहस न कर पाते.