2 फिल्में दोनो विवादित लेकिन 1 की रिलीज पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी और कहा की उसका टीजर देखा बड़ा आपत्तिजनक लगा , दूसरी फिल्म पर माननीय की कोई टिप्पणी या कोई रोक नहीं...लेकिन हिंदू संगठनों के भरसक प्रयास के आब आखिर Netflix पर रिलीज से गुजरात न्यायालय ने रोक लगा दी
हमारे बारह : फिल्म से मुसलमानों की को भावनाएं आहत हो रही हैं इसलिए मामला उठा और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रिलीज पर रोक लगा दी
महाराज : हिंदुओं को अपमानित करने का प्रयास, हिंदू संतों की छवि बिगाड़ने की साजिश, हिंदू विरोध भी कर रहे हैं लेकिन क्या फरक पड़ता है "वैसे हिंदू सगठनों के राष्ट्रव्यापी विरोध के बाद फिल्म Netflix पर आज रिलीज नहीं हो रही.."
अब देखना ये है की दोनों फिल्मों का भविष्य क्या होता है..?
वैसे मीडिया के भांडों को देखें तो हमारे बारह में तो मजहबी एंगल दिखता है लेकिन महाराज फिल्म जो गांधी के भी जन्म से पहले के गुलाम भारत में हुए एक केस पर बनी है और उद्देश्य बिलकुल साफ है की हिंदू संतों की छवि बिगाड़नी है लेकिन इसमें भांड मीडिया वालों को धार्मिक एंगल नहीं दिखता।
आमिर खान को यदि इतनी ही खुजली है फिल्मे बनाने की और समाज को संदेश देने की तो आए दिन मौलन , मौलवियों के हवस भरे कारनामे सामने आते है इनपर कोई फिल्म क्यों नहीं बनाता? आमिर खान की मानसिकता क्या है ये समझना इतना भी कठिन नहीं, ये अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर अपना एजेंडा चला रहा है और कुछ मूर्ख हिंदू इसे एक एक्टर, एक सुपर स्टार समझ रहे हैं।
नोट : भरता में लोकतंत्र है और यहां "संख्या - बल" का बड़ा महत्व है। यहां 80% वालों के पास संख्या तो है लेकिन संगठित बल नहीं है लेकिन 20% वाले अपनी कम संख्या को भी संगठित कर बल बना लेते हैं और को मर्जी करवा लेते है। हिंदुओं को जागरूक होकर संगठित होना होगा अन्यथा दुष्परिणाम हो वर्तमान ने दिख रहे हैं वो कई गुना बढ़ जायेंगे और फिर ये 80% भी केवल इतिहास में दर्ज एक संख्या बन जाएगी।