🙏28 मई- जयंती स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी (दिनांकानुसार).👉राष्ट्रप्रेम और धर्मरक्षा के वो महान प्रतीक जिनका स्वर्णिम इतिहास कभी मोहताज़ नहीं रहा चाटुकार इतिहासकारों का
🔸अगर आज हम खुल कर बोल रहे हैं कि महाराणा प्रताप महान थे और अकबर आतताई .. अगर आज हम कह पा रहे हैं कि छत्रपति शिवाजी देवतुल्य और औरंगजेब हत्यारा तो इसके पीछे नींव के उस पत्थर का जन्मदिवस है आज जिसे वीर सावरकर जी के नाम से आज और हमेशा जाना जाएगा .
ये एक छोटसा वीडियो संदेश एक संत की वाणी से जो हर हिंदू को जरूर सुनना, समझना और अपने जीवन में उतारना चाहिए ... समय अत्यंत ही विकट है और देशद्रोही ताकतें पूरी तरह तैयार हैं , ऐसे में राष्ट्र सुरक्षा के लिए सावरकर जी को इस बात को जल्द से जल्द धरातल पर लाना अनिवार्य है👇 वीडियो देखें और जानकर शेयर करें
🔸ये संघर्ष उस समय किया गया जब आज़ादी के तमाम तथाकथित ठेकेदारों द्वारा खुद के गढ़े जा रहे धर्मनिरपेक्षता के नकली सिद्धांतो की सुनामी थी . इस वीर ने सबसे पहले अंग्रेजो की प्रताड़ना झेली और उसके बाद आज़ादी के इन नकली ठेकेदारों के आक्षेप
🔸पर वो अडिग रहे हिमालय की तरह . विरोधियो की चाहत सिर्फ एक थी कि असल हिदुत्व को सदा सदा के लिए दफन कर दिया जाय पर वो महायोद्धा केवल सावरकर जी थे जिन्होंने पहले अंग्रेजो से देश के लिए संघर्ष किया और उसके बाद धर्मविरोधियो से ..
🔸आज संघर्ष के उस महास्तंभ का पावन जन्मदिवस है जिस दिन गौरवान्वित है ये राष्ट्र . वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को नासिक जिले के भागूर ग्राम में हुआ था। उनके पिताजी का नाम दामोदर पन्त सावरकर था और उनकी माताजी का नाम राधाबाई था।
🔸वीर सावरकर एक देशभक्त क्रांतिकारी थे और वह हिन्दुत्व के हिमायती थे। उनहोंने अपनी पढाई फर्ग्युसन कॉलेज ,पुणे से पूरी की थी। गांधी की हत्या में जिन 8 लोगों पर आरोप लगे, सावरकर उनमें से एक थे. मगर उन्हें बरी कर दिया गया.
🔸भले ही उस समय के आज़ादी के तमाम तथाकथित ठेकेदार अंग्रेजो के साथ बैठ कर चाय नाश्ता कर रहे थे लेकिन ठीक उसी समय महान क्रांतिवीर सावरकर जी पर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या की कोशिश का भी आरोप लगा था. सावरकर पर पहली बार हत्या का आरोप 1909 में लगा.
🔸मदनलाल ढींगरा ने सर विलियम कर्जन वाइली की लंदन में हत्या कर दी थी. ढींगरा को फांसी हुई. सावरकर पर दोष तय नहीं हो पाया. आजादी के बाद प्रकाशित उनकी जीवनी सावरकर एंज हिज टाइम्स में इस बात का खुलासा है कि उन्होंने ढींगरा को ट्रेनिंग दी थी.
🔸ये भारत के उस शौर्य का प्रदर्शन था जिसमे दुश्मन को उसके घर में घुस कर मारने का दम दिखाया जाता है ..
🔸 उन्हें मिली कालापानी की सजा बेहद ही भयावह सजा थी वीर सावरकर को कोल्हू में जानवरों की जगह लगाया गया लेकिन इसके बाद भी आज़ादी के नकली ठेकेदार उनके त्याग पर ऊँगली उठाते रहे
🔸इस जेल में भी दीवारों पर नाखून से खुरच कर उन्होंने राष्ट्र और धर्म प्रेम की वो कथा लिखी थी जो आज भी भारत के सच्चे और स्वर्णिम इतिहास में सदा सदा के लिए अमिट है. जिस जेल में वीर सावरकर जी ने यातना झेली उस जेल में कुल 693 कमरे थे.
🔸सेल बहुत छोटा था और बस छत के पास एक रोशनदान हुआ करता था. जहाँ कैदियों को जंजीरों में जकड़ कर रखना एक सामान्य बात थी .क़ैदियों से नारियल का तेल निकालने जैसे काम करवाए जाते थे और उन्हें बाथरूम जाने के लिए भी इजाज़त लेनी होती थी
🔸उनके साथ डॉ. दीवान सिंह, योगेंद्र शुक्ल, भाई परमानंद, सोहन सिंह, वामन राव जोशी और नंद गोपाल जैसे लोग भी इसी जेल में क़ैद रहे थे.
🔸हिन्दुओं के सैन्यकरण के प्रबल समर्थक इस वीर योद्धा के हिदुत्व के लिए संदेश था - " 'जहां तक भारत की सुरक्षा का सवाल है, हिंदू समाज को भारत सरकार के युद्ध संबंधी प्रयासों में सहानुभूतिपूर्ण सहयोग की भावना से बेहिचक जुड़ जाना चाहिए जब तक यह हिंदू हितों के फायदे में हो
🔸इसी के साथ उन्होंने आगे कहा कि हिंदुओं को बड़ी संख्या में थल सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल होना चाहिए और सभी आयुध, गोला-बारूद, और जंग का सामान बनाने वाले कारखानों वगैरह में प्रवेश करना चाहिए. हिन्दुओं का सैन्यकरण और हिन्दुओं की एकता मुख्य लक्ष्य था उनका
✊इस्लामिक जेहाद और जेहादी तुष्टिकरण के वह घोर विरोधी थे इसलिए उन्होंने हिन्दू महासभा कि स्थापना कि थी, हिन्दू महासभा कि वर्तमान दशा को ही देखकर आप सावरकर जी के उद्देश्य का सीधा आकलन स्वयं कर सकते हैं।
✍️आज वीरता की उस अमर गौरवगाथा , राष्ट्र प्रेम और धर्मरक्षक वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि पर उनको बारम्बार नमन और वन्दन करते हुए उनकी उनके पवित्र उद्देश्य "हिन्दू राष्ट्र" को पूरा करने का संकल्प हम सभी को अपना सन्कल्प बनाना होगा
🙏हिन्दू धर्म के इस महान रक्षक को मेरा बारम्बार प्रणाम .. वीर सावरकर जी अमर रहें।
जय हिन्दू राष्ट्र🚩
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