भारत के वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का कहना है कि, कोरोना वैक्सीन #कोविशील्ड लगवाने वालों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. इसलिए अफवाहों से दूर रहिए. मित्रों, इस पोस्ट में आप लोगों की हर वह सवालों का जवाब है, जो आप लोग जानना और समझना चाहते हैं.
भारत में चुनावी मौसम चल रहा है और इस समय, देश में कोरोना वैक्सीन ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड पर नकारात्मक अफवाह फैलाई जा रही है. जब की इस पर ब्रिटेन में पिछले 3 सालों से कोर्ट में केस चल रही है और इस पर कई रिपोर्ट भी आ चुके हैं. लेकिन अब इसको लेकर, भारत में एक खास Ecosystem के द्वारा लोगों में पैनिक फैलाई जा रही है. मित्रों, इस पोस्ट को लिखने का मुख्य कारण यह है कि, इस पर लोगों में पैनिक न फैले. इसलिए में इस पोस्ट पर भारतीय वैज्ञानिक और विशेषज्ञों का क्या कहना है, इस पर आप लोगों की दृष्टि डालना चाहता हूं.
ब्रिटेन की जिस ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट खून के थक्के जमने की बात इस वक्त पूरी दुनिया में हो रही है. उससे अपने देश के लोगों में भी डर पैदा हो रहा है. दरअसल कोरोना से बचाने के लिए देश में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से लगाया गया था. अब जब ब्रिटेन के हाई कोर्ट में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट की बात कबूल की है तो उन देशों में भी दहशत होने लगी है जहां पर इन वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ था. हालांकि भारत में वैक्सीन की मॉनिटरिंग करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि इस #रिपोर्ट से बेवजह घबराने की बिलकुल जरुरत नहीं है. क्योंकि जिस साइड इफेक्ट की बात सामने आ रही है वह अन्य सभी वैक्सीनों में भी होता है. कोविड महामारी के दौरान देश के मुख्य महामारी विशेषज्ञ रहे और #ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा ने कहा है कि, भारत के लोगों को न तो इससे डरने की जरूरत है. और न ही गूगल करके कुछ समझने की जरूरत है. हमारे वैज्ञानिक इस दिशा में आगे काम कर रहे हैं.
वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा ने, इस विषय पर एक पत्रकार से बातचीत करते हुए, कुछ सवालों का बड़े विस्तार के साथ जवाब दिया है. तो चलिए मित्रों, सभी सवालों का जवाबों को बारीकी से समझते हैं.
1 = पत्रकार: एक्स्ट्राजेनेका ने कोर्ट में स्वीकार किया कि उनकी इस वैक्सीन का साइड इफेक्ट है. यह खून के थक्के जमा रही है. यह वैक्सीन लगवाने वाले लोग डर रहे हैं.
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा का जवाब: सबसे पहली बात तो हमें यह समझनी चाहिए कि, वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कहा क्या है ? क्या यह कहा गया है कि वैक्सीन लेने वाले सभी लोगों में खून के थक्के जम रहे हैं! या कुछ मामले में इस तरह के रिपोर्ट आई हैं? अब आप आप लोग उसको ऐसे समझिए कि किसी भी तरह की वैक्सीन के अपने साइडइफेक्ट होते हैं. यह भी उन्हीं में से है. इसलिए लोगों को बेवजह डरने की जरूरत नहीं है.
2 = पत्रकार: परंतु अपने देश में कोविशील्ड लगवाने वालों की तादाद भी बहुत ज्यादा है. अब तो वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने ही इसके बड़े साइड इफेक्ट बताए हैं. ऐसे में डर तो स्वाभाविक है.
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा का जवाब: यह बात सही है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने इसके साइड इफेक्ट बताएं हैं. लेकिन यह एक साइंटिफिक एविडेंस है. "साइंटिफिक एविडेंस" को हर व्यक्ति खुद से जोड़कर नहीं देख सकता. क्योंकि किसी भी तरीके के ड्रग डेवलपमेंट या वैक्सीन डेवलपमेंट में इस तरीके के साइंटिफिक एविडेंस आते ही हैं. अब आप अगर इसका नकारात्मक पहलू लेकर पैनिक होंगे तो बात नहीं बनेगी.
3 = पत्रकार: लेकिन लोगों में डर है कि, पहले भी लगातार अचानक हो रही हार्ट अटैक से मौतों के मामले देखे जा रहे थे. अब तो खून के थक्के जमने वाली एक नई बात सामने आई है?
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा का जवाब: पहली बात तो इस बात को लोगों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए की वैक्सीन का अचानक हार्ट अटैक से कोई लेना-देना नहीं है. हमारे देश के वैज्ञानिकों ने इस पर लगातार शोध किया और उनकी रिपोर्ट भी सामने आ चुकी हैं. जिसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि, कोई भी वैक्सीन का सडन कार्डियक अरेस्ट से कोई संबंध नहीं है. अब रही बात खून के थक्के जमने वाली बात सामने आने की, तो इस पर आगे भी शोध होते रहेंगे, देश व दुनिया के सभी वैज्ञानिकों को पता है कि किसी न किसी दवा या वैक्सीन के साइडइफेक्ट होते ही हैं.
4 = पत्रकार: दरअसल यह वैक्सीन पूरी दुनिया में लगाई गई हैं. इसलिए उसके साइड इफेक्ट पर कंपनी की ओर से दाखिल हलफनामें से हर व्यक्ति खुद को जोड़कर देख रहा है.
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा का जवाब: यह बात बिल्कुल सही है कि दुनिया भर में कोविड से बचाव के लिए वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया. इसी बात को लेकर न सिर्फ यह वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बल्कि इसका इस्तेमाल करने वाले देश में कंसर्न बना हुआ है, लोगों को सिर्फ डरने की बजाय इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि क्या यह क्लॉटिंग जानलेवा भी है या नहीं. इसके अलावा यह भी जानना जरूरी है कि क्लोटिंग होने का प्रतिशत क्या है? क्या यह सामान्य प्रतिशत है या ज्यादा.
5 = पत्रकार: क्या सच है आप ही बताइए. वैक्सीन लगवाने वालों में कितने प्रतिशत में क्लॉटिंग हुई है और कितनी मौते हुई हैं और लोगों को इस बारे में स्पष्ट जानकारी तो होनी चाहिए. ताकि डर न बने.
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा का जवाब:
इस पर दुनिया भर में शोध हो रहा है, परंतु यह बात बिल्कुल तय है कि ना तो क्लॉटिंग का प्रतिशत ज्यादा है. और ना ही इससे दुनिया भर के अलग अलग देशों में मौतें हुई हैं. तो एक बात स्पष्ट समझ नहीं चाहिए कि जितना खतरा किसी भी तरीके की सामान्य वैक्सीन में होता है उतना ही खतरा इस कोरोना वैक्सीन में होता है. इसलिए बेवजह गूगल करके इधर-उधर की जानकारियां इकट्ठा करने से बचना चाहिए.
6 = पत्रकार: आप कोविड महामारी के दौरान देश के मुख्य महामारी विशेषज्ञ रहे हैं. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया से लेकर देश में बचाव के तमाम प्रयासों के बुनियादी व्यवस्थाओं में आपने राजशुमारी दी है. तुरंत तैयार हुई कोविड वैक्सीन के बड़े साइड इफेक्ट को लेकर कभी कोई संशय रहा?
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा की जवाब: अब आप इसको ऐसे समझिए. महामारी कोई एक दो साल या चार-पांच साल के भीतर आती नहीं है. पूरी दुनिया के सामने इस बीमारी से बचाव को लेकर चुनौतियां थी. तो उस दौर में वैक्सीन का डेवलप होना ही सबसे सफल और कारगर तरीका था. जिस वैक्सीन को पूरी दुनिया ने लगाया उसमें बाकायदा सफल क्लिनिकल ट्रायल किए गए थे. इसलिए ना कोई शंका रही और ना कोई संशय था. चूंकि कोरोना महामारी से बचाव की वैक्सीन 2020 में डेवलप हुई है. इसलिए तमाम तरह की बात होती है. लेकिन इस वैक्सीन पर फिलहाल ना कोई पहले शक था ना अब है.
7 = पत्रकार: अपने देश में जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई है उनके लिए क्या कहेंगे ? क्योंकि ब्रिटेन की कोर्ट में एक्स्ट्राजेनेका की ओर से खून के थक्के जमने के साइड इफेक्ट की सीकारोक्ति से लोगों में डर है.
● वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा का जवाब:
मैं फिर कहता हूं कि "साइंटिफिक एविडेंस" हर ड्रग डेवलपमेंट के दौरान करना ही होता है. इसलिए साइड इफेक्ट की बात का स्वीकार करना यह बिल्कुल साबित नहीं करता है कि हर वैक्सीन लगवाने वाले को यह खतरा है. यह बिल्कुल उसी तरीके से है कि आप किसी भी तरीके की दवा का इस्तेमाल करते वक्त उसका सकारात्मक पहलू देखते हैं या नकारात्मक पहलू. अगर नकारात्मक पहलू देखेंगे तो डर बना रहेगा. जबकि उसका सकारात्मक पहलू ही जीवनदाई होता है.
तो मित्रों, आप सभी लोगों को, आपके अंदर उठ रहे सभी सवालों का जवाब मिल गया होगा. इसलिए आप लोग किसी के अफवाह में आकर पैनिक न हों या किसी के बहकावे में आकर अफवाह न फैलाएं. धन्यवाद 🙏

