पुणे में एक रईसजादा वेदांत अग्रवाल (17) ने दो लोगों को अपनी पोर्श कार से एक्सीडेंट में मार डाला। वेदांत अग्रवाल 17 साल का नाबालिक है, उसे 15 घंटे में जमानत मिल गई
और जमानत की शर्त देखीये
1:- एक्सीडेंट पर निबंध लिखो
2:- ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करना होगा
3:- डॉक्टर से इलाज करवा कर शराब की लत छुड़वानी होगी
4:-साइट्रिक से कंसल्ट लेकर उसकी रिपोर्ट अदालत में देनी होगी
दूसरे राज्यों का तो नहीं पता गुजरात में यदि कोई नाबालिक गाड़ी चलाता है और एक्सीडेंट करता है तो उसके पिता और माता पर भी केस बनता है
अभी रिसेंटली कई पिता जेल में बंद है जिनके नाबालिक बच्चों ने एक्सीडेंट किया
और एक नाबालिक को पोर्श जैसी कर देने वाले पिता पर भी हत्या का मुकदमा चलना चाहिए और एक 17 साल का नाबालिक लड़का उस पर हत्या का केस चलना चाहिए
लेकिन हमारी न्यायपालिका इतनी सड़ गल चुकी है ऐसे ऐसे फैसला सुनाती है जिसे सुनकर दिमाग हिल जाता है
अब क्या हम ऐसे कह सकते हैं कि मामला क्या पैसों के कारण लिपट गया है क्योंकि ऐसा कहेंगे तो कोर्ट के अवमानना हो जाएगी ना तो आपके पास कोई सबूत है ना हमारे पास सबूत है
और करने भी नहीं चाहिए क्योंकि न्यायालय हमारे लिए सम्माननीय है
लेकिन क्या भारत के लोग इतने कम अकल के हैं या बिना बुद्धि के हैं कि जो इन बातों को समझ नहीं सकते हैं
बस यही सब देख कर तो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ने कहा था कि जिस व्यक्ति के पास पैसे नहीं है उसको सुप्रीम कोर्ट की तरफ रुख नहीं करना चाहिए
माफ करना जज साहब यह बात आपके ही एक साथी ने कही है