🔥 नवरात्रि के पहले दिन मां ईडाणा न किया अग्नि स्नान, मूर्ती का नहीं हुवा बाल भी बांका, जानें क्या है मान्यता
👉 मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठ में से एक ईडाणा माता ने मंगलवार (चैत्र प्रतिपदा २०८१) को अग्नि स्नान किया. माता ईडाणा के अग्नि स्नान करने की खबर जैसे ही क्षेत्र में फैली बड़ी संख्या में लोग मंदिर प्रांगण में जमा हो गए और मां ईडाणा की जय जय कार करने लगे. बताया जा रहा है कि सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर माता की प्रतिमा के चारों ओर आग की लपटें उठती दिखीं, फिर आधे घंटे तक माँ के दर्शन हुए।
👉 मेवाड़ संभाग में मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध ईडाणा माता मंदिर देश-दुनिया में मां के अग्नि स्नान करने को लेकर प्रसिद्ध है. मां ईडाणा समय - समय पर अग्नि स्नान करती रहती हैं. खास बात यह है कि इस स्नान का कोई समय या तिथि निर्धारित नहीं होती है लेकिन मान्यता है कि मां नवरात्रि पर्व के आस पास के समय मे अग्नि स्नान जरूर करती हैं. ऐसे में मां के अग्नि स्नान के दर्शन करने वाले श्रृद्वालु अपने आप को बेहद भाग्यशाली और धन्य समझते हैं।. अग्नि स्नान के दौरान मां का सारा श्रंगार जलकर भस्म हो जाता है, लेकिन मां की प्रतिमा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
👉 दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, , ईडाणा माता स्थित गायत्री धाम के आचार्य शैलेश त्रिवेदी ने माता के अग्नि स्नान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अग्निस्नान को लेकर कोई दिन और समय तय नहीं है। यह संयोग है कि इस बार हिंदू नव वर्ष के दिन अभिजीत मुहूर्ज में अग्नि स्नान शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि जब आसपास के लोगों को आज के दिन माता के स्नान के बारे में पता चला तो मंदिर में भक्तों की भीड़ लग गई। पिछले साल भी माता ने अग्निस्नान करके अपने दर्शन चैत्र नवरात्रि में दिए थे। 2022 में माता ने 28 मार्च को अग्नि स्नान किया था। 2021 में माता ने 2 बार स्नान किया था। एक 9 मार्च 2021 को और फिर 14 मार्च 2021 को।
बता दें कि उदयपुर से करीब 60 किलो मीटर दूर कुराबड़- बम्बोरा मार्ग पर अरावली की पहाडिय़ों के बीच स्थित ईडाणा माता का यह मंदिर हजारों वर्ष प्राचीन है। मान्यता है कि महाभारत काल में इस मंदिर की स्थापना की गई थी। अग्निस्नान देखने के लिए लोग यहाँ विदेशों से भी आते हैं। लेकिन कोई तिथि तय नहीं होने के कारण ज्यादातर मौकों पर लोगों को निराश होकर ही लौटना पड़ता है। इस मंदिर की देवी ईडाणा माता को स्थानीय रजवाड़े अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते आए हैं।
यहाँ माता का कोई भव्य मंदिर नहीं है। ईडाणा माता बरगद के वृक्ष के नीचे विराजमान हैं। माता के सिर के ऊपर कोई शिखर भी नहीं है। माता खुले आसमान के नीचे निवास करती हैं। माँ की मूर्ति के पीछे केवल मनोकामना पूरी होने पर भक्तों की ओर से चढ़ाई जाने वाली चुनरी और त्रिशूलों का सुरक्षा कवच मौजूद है।
यह घटना किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि अग्नि स्नान के बाद भी माता की प्रतिमा वर्षों पहले जैसी थी आज भी वैसी ही है जबकि ईडाणा माता के अग्निस्नान के समय उठने वाली लपटों से कई बार उस बरगद के पेड़ तक को नुकसान पहुँचा हैं जिसके नीचे सदियों से माता रानी विराजमान हैं। इस शक्ति पीठ की विशेष बात यह है कि यहाँ माँ के द्वार और दर्शन चौबीस घंटे खुले रहते हैं और माना जाता है कि यहाँ आकर लकवाग्रस्त मरीज ठीक हो जाते हैं। ईडाणा माता परिसर में दर्शन के लिए माँ का दरबार, अखंड ज्योति दर्शन, धुनी दर्शन, रामदेव मंदिर व एक बड़ी भोजनशाला है।
जय श्री राम
🚩 हिन्दू राष्ट्र भारत 🚩
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