आपने अष्ट सिद्धियों के बारे में बहुत पढ़ा बहुत जाना आज बात अच्छे से ननव निधियों के बारे होगी …
हनुमान चालीसा में लिखा हैं, “अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता असवर दीन जानकी माता”
हनुमान जी के पास अष्टसिद्धियां तथा नवनिधियां हैं जो प्रसन्न होने पर हनुमानजी अपने भक्तों को प्रदान करते हैं। नवनिधियों के बारे में शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को उनमें से एक भी प्राप्त हो जाती है, तो उसे जीवन भर कभी किसी चीज की कमी नहीं होती।
🔸ये हैं नौ निधियाँ
*पद्म निधि* पद्म निधि से संपन्न व्यक्ति में सात्विक गुण होते हैं, इसलिए उसके द्वारा अर्जित धन भी सात्विक होता है। सात्विक तरीके से अर्जित धन से कई पीढ़ियों को कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। ऐसे भक्त व्यक्ति सोने, चांदी और रत्नों से संपन्न होते हैं एवं उदारता से दान में विशेष रुचि रखते है
*महापद्म निधि*
महापद्म निधि भी पद्म निधि की तरह सात्विक है। किंतु यह केवल 7 पीढ़ियों तक प्रभावी है इस निधि से संपन्न व्यक्ति दानशील भी होता है और 7 पीढ़ियों तक सुख-समृद्धि से आनंद में रहेगा.
*नील निधि*
नील निधि में सत्व और रज दोनों गुणों वाली है इसमें व्यापार की प्रधानता अधिक है इस निधि का प्रभाव केवल तीन पीढ़ियों तक रहेगा.
*मुकुंद निधि*
मुकुंद निधि में रजोगुण की प्रधानता है इसलिए इसे राजसी स्वभाव वाली निधि कहा जाता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति या साधक का मन “भोग” आदि में लगा रहता है। एक पीढ़ी के बाद यह निधि समाप्त हो जाती है।
*नंद निधि*
नंद निधि रज और तम दो गुणों वाली है ऐसा माना जाता है कि यह निधि साधक को दीर्घायु तथा उन्नति प्रदान करती है।
*मकर निधि*
मकर निधि को तामसी निधि कहा जाता है। इस निधि से संपन्न साधक अस्त्र-शस्त्र एकत्रित करता है। ऐसा जातक राजा और प्रशासन में प्रभाव रखता है। शत्रुओं पर उसका प्रभुत्व होता है तथा युद्ध के लिए तत्पर रहता है। इनकी मृत्यु भी शस्त्र से या दुर्घटना में हो जाती है।
*कच्छप निधि*
कच्छप निधि का साधक अपने धन को छिपाकर रखता है। वह न तो स्वयं उसका उपयोग करता है, न ही दूसरों को करने देता है। वह उसे साँप की तरह सुरक्षित रखता है। ऐसा व्यक्ति धन होने पर भी उसका उपयोग नहीं कर पाता।
*शंख निधि*
शंख निधि प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपने बारे में ही चिंता करता है तथा केवल अपने ही भोग विलास की इच्छा रखता है। वह खूब कमाता है, लेकिन उसका परिवार दरिद्रता में रहता है। ऐसा व्यक्ति धन का उपयोग अपने ही सुखों के लिए करता है, जिसके कारण उसका परिवार दरिद्रता में रहता है।
*खर्व निधि* को मिश्रित निधि है नाम के अनुसार इस निधि से संपन्न व्यक्ति अन्य 8 निधियों का मिश्रण होता है। इस निधि से संपन्न व्यक्ति मिश्रित स्वभाव का होता है। उसके कार्यों और स्वभाव का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। ऐसा माना जाता है कि इस निधि से संपन्न व्यक्ति अपंग और अहंकारी होता है। अगर उसे मौका मिले तो वह दूसरों की संपत्ति और सुख-समृद्धि छीन सकता है।