आजकल समाज आधुनिकता के नाम पर नंगा होता जा रहा है। रील्स बनाने या ऐसे ही मौज मस्ती के चक्कर में समाज में गंदगी परोस रहे हैं लोग, और हमारे देश का प्रशासन ऐसे लोगों को रोकने में असमर्थ सा नजर आ रहा है। जब ऐसी हरकतें बढ़ेंगी तो जाहिर है ब्लातकार जैसे अपराध भी बढ़ेंगे लेकिन इन अश्लील हरकतों का समर्थन वो लोग ज्यादा करते हैं जो बलात्कार के विरुद्ध खड़े होने की नौटंकी करते हैं। नारी सशक्तिकरण के नाम पर नंगाई हो रही है, मर्यादा को तोड़ समाज को दूषित किया जा रहा है..इसका विरोध जरूरी है
ऐसी घटिया हरकतों का समर्थन करने वालोंको तो छोड़िए , लेकिन हो लोग इन हरकतों को अनुचित मानते हैं वो भी तो इनका विरोध नही करते... और विरोध ना करना भी एक तरह से मूक समर्थन है। समाज को चाहिए की ऐसा घटिया हरकतों का पुरजोर विरोध करें और प्रशासन से इनपर उचित कार्यवाही करवाएं ताकि हमारा समाज, हमारी आने वाली पीढ़ियां बिगड़ने से बचें अन्यथा आने वाले समय में रेड लाइट एरिया खोजने के शायद जरूरत भी ना पड़े... पता नहीं ऐसी हरकतें करने वालों के माता पिता कैसे होंगे..!
सारा दोष इन लोगों का नहीं बल्कि उन परिजनों का भी है जिन्होंने इन्हें सही गलत का भान ही नहीं करवाया और इन्हें उचित संस्कार नहीं दिए। अगर ऐसे भद्दे डांस करने भी हैं तो अपने घर पर, किसी पब में क्लब में करो लेकिन पब्लिक प्लेस पर ये सब करना पूर्णतः अनुचित हैं , प्रशासन को ऐसे लोगों पर विधिवत कठोर कार्यवाही करनी चाहिए