VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचाग
"गीता अध्याय 10 श्लोक 23
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:21 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
दिनांक - 22 फरवरी 2024
⛅दिन - गुरूवार
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - वसंत
⛅मास - माघ
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - पुष्य शाम 04:43 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅योग - सौभाग्य दोपहर 12:13 तक तत्पश्चात शोभन
⛅राहु काल - दोपहर 02:20 से 03:46 तक
⛅सूर्योदय - 07:07
⛅सूर्यास्त - 06:39
⛅दिशा शूल - दक्षिण
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:28 से 06:18 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:28 से 01:18 तक
⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:30 से 01:16 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - दिनत्रय व्रत, गुरुपुष्यामृत योग
⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌹22 फरवरी 2024 : गुरुपुष्यामृत योग
🔸पूण्य काल - 22 फरवरी सूर्योदय से शाम 04:43 तक
🌹गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।
🌹 दिनत्रय व्रत 🌹
🔸माघ शुक्ल त्रयोदशी से माघी पूर्णिमा तक
22 फरवरी से 24 फरवरी तक
🌹 माघ मास में सभी दिन अगर कोई स्नान ना कर पाए तो त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे माघ मास के स्नान के पुण्यो की प्राप्ति होती है ।
🌹 सकाम भावना से माघ महीने का स्नान करने वाले को मनोवांछित फल प्राप्त होता है लेकिन निष्काम भाव से कुछ नही चाहिए खाली भागवत प्रसन्नता, भागवत प्राप्ति के लिए माघ का स्नान करता है, तो उसको भगवत प्राप्ति में भी बहुत-बहुत आसानी होती है ।
🌹 ‘पद्म पुराण’ के उत्तर खण्ड में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि व्रत, दान व तपस्या से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी माघ मास में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानमात्र से होती है ।
🌹 इन तीन दिन विष्णु सहस्रनाम पाठ और गीता का पाठ भी अत्यंत प्रभावशाली और पुण्यदायी है ।
🌹 माघ मास का इतना प्रभाव है की सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं । पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पालने से जो फल मिलता है माघ मास में 3 दिन स्नान करने से वो मिल जाता है, खाली ३ दिन । माघ मास प्रात:स्नान सब कुछ देता है । आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है ।
🌹 अतः माघ मास की त्रयोदशी से (22 फरवरी से 24 फरवरी 2024) पूर्णिमा तक सूर्योदय से पूर्व स्नान ,विष्णु सहस्रनाम और श्रीमद भागवत गीता का पाठ विशेषतः करें और लाभ लें ।"
🔸स्नान कैसे करना चाहिये ??🔸
🔹 जहाँ से प्रवाह आता हो वहाँ पहले सिर की डुबकी मारें । घर में भी स्नान करे तो पहले जल सिर पर डालें.... पैरों पर पहले नहीं डालना चाहिए । शीतल जल सिर को लगने से सिर की गर्मी पैरों के तरफ जाती है ।
🔹और जहाँ जलाशय है, स्थिर जल है वहाँ सूर्य पूर्वमुखी होकर स्नान करें ।
🔹घर में स्नान करें तो उस बाल्टी के पानी में जौ और तिल अथवा थोड़ा गोमूत्र अथवा तिर्थोद्क पहले (गंगाजल आदि) डाल कर फिर बाल्टी भरें तो घर में भी तीर्थ स्नान माना जायेगा ।
🔸माघ मास के विशेष लाभकारी अंतिम ३ दिन🔸
🔹त्रिवेणी त्रिदोष से मुक्त कर देती है । तीन अवस्थाओं – जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति में जो बंधन और आकर्षण है उससे भी मुक्त कर देती है, त्रिवेणी का स्नान ऐसा है । एक मास इन्द्रिय – संयमपूर्वक प्रयाग-स्नान सभी पापों से मुक्ति देता है और फिर वह माघ में हो तो और विशेष फलदायी है ।
🔹किसी कारण से एक मास नहीं भी कर सके, वार्धक्य है, ठंडी नहीं सह सकते तो त्रयोदशी से माघी पूर्णिमा तक ३ दिन स्नान कर लें तब भी चित्त शुद्ध, पवित्र हो जाता है और पवित्र, शुद्ध चित्त की पहचान है कि ह्रदय में निर्विकारी नारायण का आनंद आने लगे ।
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