अरब कल्याणम की कुप्रथा विशेष समुदाय का और भयानक रोग है जिसे एक सभ्य समाज कभी स्वीकार नहीं कर सकता। स्वीकार करना तो दूर सुनकर ही घिन्न आने लगती है।
क्या कोई मां बाप इतने घटिया भी हो सकतें हैं ? हां..होते हैं "अम्मी - अब्बू"
दूसरों के परंपराओं पर उंगली करने वाले जिहादी कभी ऐसी घटिया को प्रथाओं का विरोध करते नजर नहीं आएंगे उल्टा दुष्टतापूर्ण तरीके से मजाक के नाम पर इन्हें जस्टिफाई करते हैं। ऐसी बदबूदार सोच से निभाया जाय "भाईचारा"
😡😡😡
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