VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 09 श्लोक 20
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी रात्रि 08:44 तक तत्पश्चात नवमी
⛅दिनांक - 18 जनवरी 2024
⛅दिन - गुरूवार
⛅अयन - उत्तरायण
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - पौष
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - अश्विनी 19 जनवरी प्रातः 02:58 तक तत्पश्चात भरणी
⛅योग - सिद्ध दोपहर 02:48 तक तत्पश्चात साध्य
⛅राहु काल - दोहर 02:12 से 03:34 तक
⛅सूर्योदय - 07:23
⛅सूर्यास्त - 06:17
⛅दिशा शूल - दक्षिण
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:16 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - पंचक समाप्त (प्रातः 03-33)
⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹यज्ञ के समय ध्यान रखने योग्य बातें🔹
🔸यज्ञ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है :
१] याजक को यज्ञ करते समय सिले हुए चुस्त कपड़े नहीं पहनने चाहिए, खुले कपड़े पहनने चाहिए ताकि यज्ञ का जो वातावरण या सात्त्विक धुआँ है वह रोमकूपों पर सीधा असर करे ।
२] अग्नि की ज्वाला सीधी आकाश की तरफ जाती है अत: यज्ञमंडप के ऊपर छप्पर होना चाहिए ताकि यज्ञ की सामग्री का जो प्रभाव है वह सीधा ऊपर न जाय, आसपास में फैले ।
३] यज्ञ में जो वस्तुएँ डाली जाती हैं उनके लाभकारी रासायनिक प्रभाव को उत्पन्न करने में जो लकड़ी मदद करती है वैसी ही लकड़ी होनी चाहिए । इसलिए कहा गया है : ‘अमुक यज्ञ में पीपल की लकड़ी हो.... अमुक यज्ञ में आम की लकड़ी हो....’ ताकि लकड़ियों का एवं यज्ञ की वस्तुओं का रासायनिक प्रभाव वातावरण पर पड़े ।
🔹शात्रों में वर्णित गौ-महिमा🔹
🔸जो प्रतिदिन स्नान करके गौ का स्पर्श करता है, वह मनुष्य सब प्रकार के स्थूल पापों से भी मुक्त हो जाता है । जो गौओं के खुर से उडी हुई धूल को सिर पर धारण करता है, वह मानो तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और सभी पापों से छुटकारा पा जाता है । (पद्म पुराण, सृष्टि खंड, अध्याय:५७)
🔸गौ का स्पर्श करने, सात्त्विक-सदाचारी ब्राह्मण को नमस्कार करने और सद्गुरु, देवता का भलीभाँति पूजन करने से गृहस्थ सारे पापों से छुट जाते हैं । (स्कंद पुराण, प्रभास खंड)
🔸गंडस्पर्श कर लेने मात्र से ही गौएँ मनुष्य के समस्त पापों को नष्ट कर देती हैं और आदरपूर्वक सेवन किये जाने पर अपार सम्पत्ति प्रदान करती हैं । वे ही गायें दान दिये जाने पर सीधे स्वर्ग ले जाती हैं । ऐसी गौओं के समान और कोई भी धन नहीं हैं । (बृहत्पराशर स्मृति)
🔸जो प्यास से व्याकुल हुई गौओं को पानी पीने से विघ्न डालता है, उसे ब्रह्मघाती समझना चाहिए । (महाभारत, अनुशासन पर्व : २४.७ )
🔸जो एक वर्ष तक प्रतिदिन स्वयं भोजन के पहले दुसरे की गाय को एक मुट्ठी घास खिलाता है, उसका वह व्रत समस्त कामनाओं को पूर्ण करनेवाला होता है । (महाभारत, अनुशासन पर्व : ६९.१२)
🔸प्रतिपदा का चन्द्र-दर्शन केवल गाय ही कर पाती है । यमदूतों व प्रेतत्माओं को देख लेने में गाय सक्षम है । उनके दिखने पर वह विशिष्ट प्रकार की आवाज निकालने लगती है । गाय रँभाने की तरंगे जहाँ तक पहुँचती हैं वहाँ तक आसुरी शक्तियों का प्रभाव नष्ट हो जाता है ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
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