हम सभी जानते हैं कि वैवस्वत मनु महाराज द्वारा सरयू तट पर अयोध्या की स्थापना की गई थी। उसी अयोध्या में त्रेतायुग में प्रभु श्रीराम का अवतरण (जन्म) हुआ था।
अयोध्या पर हमला करने वाला पहले आक्रांता ग्रीक मिनिएंडर था, जिसे मिलिंद भी कहा जाता है। इसी ने सबसे पहले श्री राम जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त किया था। शुंग वंश के सम्राट द्यूमत्सेन ने उसे चुनौती दी और तीन माह बाद ही मिलिंद को मार कर अयोध्या को मुक्त कर लिया था।
सम्राट विक्रमादित्य ने अयोध्या में सरयू नदी के लक्ष्मण घाट को आधार बनाकर 360 मंदिर बनवाए थे। इनमें रामकोट , श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, नागेश्वरनाथ मंदिर तथा मणि पर्वत आदि प्रमुख हैं। भगवान विष्णु के परम भक्त होने के कारण सम्राट विक्रमादित्य ने विष्णु पद नामक पर्वत पर विष्णु व्रज की स्थापना की थी और सरोवर , कूप तथा महल आदि भी बनवाए थे।
ऐतिहासिक मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने श्रीराम जन्मभूमि पर कसौटी पत्थरों से निर्मित 84 स्तंभों पर आधारित एक विशाल एवं भव्य मंदिर का निर्माण कराया था।
अयोध्या पर दूसरी बार महमूद गजनवी के भांजे सालार महमूद ने हमला किया था। उसने दो बार आक्रमण किया। हालांकि वह अयोध्या के निकट कुछ मंदिरों को नष्ट करने में सफल रहा , लेकिन आसपास के राजाओं और दिगंबरी अखाड़े के साधुओं ने संयुक्त प्रचंड प्रतिरोध किया। तब वह भाग कर उत्तर की ओर चला गया , जहां उसका सामना वीर राजा सुहेलदेव से हुआ। 14 जून 1033 ई० को बहराइच के मोर्चे पर वह अपने सूबेदार सैफुद्दीन सहित सुहेलदेव के नेतृत्व में युद्ध कर रहे 17 अन्य हिंदू राजाओं की संयुक्त सेना के घेरे में फंसकर मारा गया।
इस महासंग्राम में मुस्लिम आक्रांताओं को बहुत नुकसान हुआ और अगले 200 वर्षों तक वे हिंदुस्तान की तरफ आने का साहस नहीं जुटा सके।
इसके पश्चात् बाबर ने सेनापति मीर बाकी को अयोध्या में बने भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त करने का क्रूर आदेश दिया। प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता कनिंघम के अनुसार ,
" श्रीराम जन्मभूमि पर बने मंदिर को बचाने के लिए हिंदुओं ने जान की बाजी लगा दी। 174000 हिंदू वीरों की लाशें गिर जाने के बाद ही मीर बाकी मंदिर में प्रवेश कर सका। तोप के गोले दाग कर ही उस मंदिर को गिराया जा सका।"( लखनऊ गजेटियर-अंक 36 , पृष्ठ 3)
मंदिर को ध्वस्त करने के बाद फकीर जलालशाह ने हिंदुओं के खून से गारा बनाकर लखौरी ईंटों से मस्जिद की नींव भरी।
इतिहासकारों के अनुसार बाबर , हुमायूं , अकबर , औरंगजेब , नवाब सादत अली , नसीरुद्दीन हैदर , वाजिद अली एवं अंग्रेजों के कालखंड में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के लिए कुल 76 धर्म-युद्ध हुए , जिनमें कुल लगभग 3.50 लाख हिंदू अपना बलिदान दे चुके हैं। इस प्रबल विरोध के कारण ही आक्रमणकारी मस्जिद में अजान के लिए मीनार और वजू के लिए स्थान कभी नहीं बना सके।
भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् भी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लिए संघर्ष जारी रहा। इस पर अगले अंक में प्रकाश डाला जाएगा।
मिथिलेश ओझा की ओर से सभी राम भक्तों को नमन एवं वंदन।
।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।