सीता जी को प्यास लगी, उन्होंने प्रभु से कुछ देर आराम करने को भी कहा। भगवान लक्ष्मण से पानी लाने को बोले और माता जानकी के साथ एक चट्टान पर बैठ गए। दूर एक पेड़ दिख रहा था, उस पेड़ पर एक सुंदर सी लता लिपटी थी। माता ने उसे प्रभु को दिखाते हुए कहा,
स्वामी देखो उस लता का भाग्य जो वह पेड़ से लिपटी है, उसका आधार प्राप्त कर रही है।
भगवान मुस्कुराए और बोले,
नही सीते, भाग्यवान वह पेड़ है जिससे लता लिपटी है, जिसके कारण पेड़ का सौंदर्य बढ़ गया है।
दोनो एक दूसरे से अपनी अपनी बात को लेकर अड़ गए, माता कहतीं लता का भाग्य अधिक है, भगवान कहते पेड़ ज्यादा भाग्यशाली है, इतने में लक्ष्मण पानी लेकर आ गए।
क्या बात है भाभी, किस बात की चर्चा हो रही है?
लक्ष्मण उस पेड़ को देखो और बताओ उस पर आच्छादित लता ज्यादा भाग्यशाली है न? माता ने पूछा।
लक्ष्मण कुछ कहते इससे पहले प्रभु ने कहा,
लक्ष्मण वह पेड़ कितना भाग्यशाली है जो उस लता के कारण सुंदर दिख रहा नही तो उस मेघवर्णी वृक्ष को कौन पूछता?
लक्ष्मण माजरा समझ गए और मुस्कुराकर बोले,
नही भैया भाभी, लता और पेड़ से भी ज्यादा भाग्यवान वह पथिक है जो दोनो के साए में बैठता है। भाभी लता हैं, भैया वृक्ष और यह दास वह पथिक है जो दोनो के साए में आराम पाता है।
ऐसा कहकर लक्ष्मण आनंद के सागर में डूबते उतराते भैया भाभी को जल पिलाने की व्यवस्था करने लगे।
#राम_रस
जय श्री लक्ष्मण 🙏🏼🕉️🚩💐
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