एक तरफ राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है तो दूसरी तरफ कुछ और ही षड्यंत्र तैयार होता नजर आ रहा है। कुछ लोग राम मंदिर के खिलाफ शुरू से ही जहर उगलते आ रहे हैं और अब भी एक तबके को इस मंदिर के विरुद्ध तैयार करने में लगे हुए हैं। भाईचारे की बातें करने वाले लोग राम मंदिर की जगह पुनः मस्जिद के सपने देख रहे हैं और उसके लिए लोगों को तैयार रहने की बातें करते नजर आ रहे हैं।
देखिए क्या कहना चाह रहा है यह ओवैसी जो खुद एक संवैधानिक पद पर बैठा है, कानून और संविधान के सम्मान की बातें करता है और भाईचारे का दंभ भरता है... वास्तव में इन्हें बस एक अवसर की और इन्हें आओ सर तभी मिलेगा जब सत्ता में इनके चहेते चाटुकार बैठे होंगे
AIMIM पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी फिर से सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। वो मुस्लिम युवकों से कह रहा है कि वो लोग मस्जिदों को बचाएँ। इसके लिए रोज मस्जिद जाएँ। उन्होंने कहा कि 500 साल तक जहाँ कुरान-ए-करीम का जिक्र किया, वही मस्जिद हमने खो दी है। असदुद्दीन ओवैसी ने पूरे वीडियों में कहीं भी अयोध्या और राम मंदिर का जिक्र नहीं किया, लेकिन इशारों-इशारों में उन्होंने 500 सालों का जिक्र कर बाबरी के लिए अपनी पीड़ा उजागर कर दी है।
असदुद्दीन ओवैसी ने खुद ये वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें वो युवकों से कह रहा है, “नौजवानों मैं तुमसे कह रहा हूँ, हमारी मस्जिद हमने गवाँ दी और वहाँ क्या किया जा रहा है आप देख रहे हैं। नौजवानों, क्या तुम्हारे दिलों में तकलीफ नहीं होती? जहाँ 500 साल हमने बैठकर कुरान-ए-करीम का जिक्र किया हो, आज वो जगह हमारे हाथ में नहीं है। नौजवानो, क्या तुमको नहीं दिख रहा कि तीन-चार और मस्जिदों को लेकर साजिश हो रही है, जिसमें दिल्ली की सुनहरी मस्जिद भी शामिल है।”
ओवैसी वीडियो में आगे कहता है, “ये जो ताकतें हैं, तुम्हारे दिलों से इत्तेहाद को निकालना चाहते हैं। ये ऐसा क्यों चाहते हैं? क्योंकि मिल्ली गीरत को खत्म कर दिया जाए, मिल्ली हमीयत को खत्म कर दिया जाए। वर्षों की मेहनत के बाद आज हमारा एक मुकाम हमने पैदा किया है। आपको इन चीजों पर गौर करना है। आप अपनी मिल्ली हमीयत को, अपनी ताकत को बरकरार रखिए। अपनी मस्जिदों को आबाद रखिए। कहीं ऐसा ना हो कि ये मस्जिदें हमसे छीन ली जाएँ। मुझे उम्मीद है, इंशाअल्लाह… आज का ये नौजवान जो कल का बूढ़ा होगा…वो अपनी नजरों को आगे रखकर, अपने दिमाग पर जोर डालकर सोचेगा कि किस तरीके से मुझे अपने आपको, अपने खानदान को, अपने शहर को, अपने मुहल्ले को बचाना है। इत्तेहाद एक ताकत है, इत्तेहाद एक नेमत है।”