गुजरात से बीजेपी के सीनियर नेता लाल कृष्ण आड़वाणी ने एक रथ यात्रा शुरू की तो यूपी का माहौल देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि विवादित परिसर में कोई परिंदा भी पर नहीं मार सकता. 30 अक्टूबर को जब राम भक्त परिसर की तरफ जाने लगे तो सरकार ने उन पर गोलियां चलवा दीं. 1990 में सड़कों पर 'बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का' के नारे लगते थे. लाल कृष्ण आड़वाणी रथयात्रा लेकर गुजरात से निकले और 30 अक्टूबर को अयोध्या में कारसेवा की तारीख़ तय कर दी गई. बीजेपी और संघ के तमाम बड़े नेताओं की गिरफ़्तारी होने लगी. तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि विवादित स्थल पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता. लाखों की संख्या में अयोध्या में इकट्ठे हुए. कारसेवक जब जन्मभूमि तक पहुंच गए तब पुलिस ने सरकार के आदेश पर रामभक्तों पर गोली चलवा दी.
,...और जमींदोज हो गया विवादित ढांचा
साल 1992 में यूपी में सत्ता परिवर्तन हो चुका था और कट्टर हिंदूवादी नेता कल्याण सिंह सीएम बने. वहीं देश में रामजन्मभूमि आंदोलन अपने चरम पर था. ऐसे में एक बार फिर से कारसेवा की नई तारीख पड़ी, जो कि 6 दिसंबर 1992 थी. देशभर से कारसेवर जब अयोध्या पहुंचेन लगे तो मामला कोर्ट पहुंचा, वहां हलफनामा देकर सीएम ने कहा कि कारसेवा भी होगी और विवादित परिसर को कुछ होने भी नहीं दिया जाएगा. इस बीच कारसेवा तो हुई लेकिन हलफनामा धरा का धरा रह गया. बाबरी का विवादित ढांचा जमींदोज कर दिया गया.