मालद्वीप V/s लक्षद्वीप
मालद्वीप की सारी अर्थव्यवस्था टूरिज्म के ऊपर निर्भर करती है और मालद्वीप ने भारत के साथ पंगा लेकर अपनी इस अर्थव्यवस्था का बंटाधार करवाने का बीज बो दिया है।
जैसे ही मालद्वीप ने इंडिया आउट का नारा लगाया और भारतीय सेना को मालद्वीप से बाहर जाने के लिए कहा मोदी जी ने बिना कोई सीधा सख्त कदम उठाए मालद्वीप को सबक सिखाने की ठान ली। अगर भारत चाहे तो मालद्वीप को पल भर में चींटी की तरह मसल दे। 5 लाख की आबादी वाले मालद्वीप की सेना हिंदुस्तान के चंद जवानों के सामने पलभर भी नहीं ठहर सकती लेकिन कहते हैं ना कि जब चींटी की मौत आती है तो उसके पर निकल आते हैं, तो मालदीप के भी पर निकल आए और उसने धमकाने वाले अंदाज में अपने यहां से भारतीय सेना को बाहर निकलने का आदेश दे दिया।
पर मोदी जी तो मोदी हैं। अकेले ही पूरे विश्व पर भारी पड़ रहे हैं फिर मालदीप जैसा छोटा सा देश भारत को धमका दे और मोदी जी बर्दाश्त कर लें, यह कैसे हो सकता है?
बस मोदी जी ने सोच लिया की दुश्मन को चोट ऐसी जगह पर मारो जिसे वह बर्दाश्त ही ना कर पाए। मोदी जी ने मालद्वीप की होने वाली टूरिज्म की इनकम को ही हमेशा के लिए खत्म करने की सोची और पहुंच गए लक्षद्वीप। वहां पर विभिन्न जगहों पर जाकर फोटो सेशन करवाया और दुनिया भर में अपील कर डाली की मालदीप की जगह लक्षद्वीप आओ आपको उससे ज्यादा उत्तम सुविधा मिलेगी और वह भी सस्ते दामों में।
इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए मोदी जी ने 1200 करोड रुपए का पैकेज लक्ष्यद्वीप की डेवलपमेंट के लिए अनाउंस भी कर दिया है। मोदी जी का फोटो सेशन आजकल पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा चर्चा में है। अगले 2-4 वर्षों में ही 500 मिलियन डॉलर से भी कम की इकोनॉमी वाला यह देश मालद्वीप जल्द ही पाकिस्तान की तरह कटोरा लेकर पूरे विश्व में भीख मांगता नजर आएगा।