VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 08 श्लोक 06
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - एकादशी 09 दिसम्बर प्रातः 06:31 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅दिनांक - 08 दिसम्बर 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - हस्त सुबह 08:54 तक तत्पश्चात चित्रा
⛅योग - सौभाग्य रात्रि 12:05 तक तत्पश्चात शोभन
⛅राहु काल - सुबह 11:11 से 12:38 तक
⛅सूर्योदय - 07:08
⛅सूर्यास्त - 05:55
⛅दिशा शूल - पश्चिम
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:22 से 06:15 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:05 से 12:58 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - उत्पत्ति एकादशी (स्मार्त)
⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹उत्पत्ति एकादशी : 09 दिसम्बर 2023🌹
🌹एकादशी 08 दिसम्बर प्रातः 05:06 से 09 दिसम्बर प्रातः 06:31 तक ।
🌹व्रत उपवास 09 दिसम्बर 2023 शनिवार को रखा जायेगा ।
🌹08 और 09 दिसम्बर दो दिन चावल खाना निषेध ।
🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🔹तिलक और त्रिकाल संध्या🔹
🔸ललाट पर प्लास्टिक की बिंदी चिपकाना हानिकारक है, इसे दूर से ही त्याग दें ।
🔸तुलसी या पीपल की जड़ की मिट्टी अथवा गाय के खुर की मिट्टी पुण्यदायी, कार्यसाफल्यदायी व सात्त्विक होती है । उसका या हल्दी या चंदन का अथवा हल्दी-चंदन के मिश्रण का तिलक हितकारी है ।
🔸भाइयों को भी तिलक करना चाहिए। इससे आज्ञाचक्र (जिसे वैज्ञानिक पीनियल ग्रंथि कहते हैं) का विकास होता है और निर्णयशक्ति बढ़ती है ।
👉 सूर्योदय के समय ताँबे के लोटे में जल लेकर सूर्यनारायण को अर्घ्य देना चाहिए । इस समय आँखें बंद करके भ्रूमध्य में सूर्य की भावना करनी चाहिए ।
🔸'ब्रह्म पुराण' के अनुसार जो विशुद्ध मन से प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते हैं,वे अभिलषित भोगों को भोगकर उत्कृष्ट गति को प्राप्त करते हैं। इसलिए प्रतिदिन पवित्र होकर सुन्दर पुष्प-गंध आदि से सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए । सूर्य को अर्घ्य देने से रोगी रोग से मुक्त हो जाता है, धनार्थी धन, विद्यार्थी विद्या एवं पुत्रार्थी पुत्र प्राप्त करता है । जो विद्वान पुरुष मन में जिस इच्छा को रखकर सूर्य को अर्घ्य देता है, उसकी वह इच्छा भलीभाँति पूर्ण होती है ।
👉 सूर्य को अर्घ्य देने से 'सूर्यकिरण युक्त' जल चिकित्सा का भी लाभ मिलता है ।
🔸सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मौन होकर संध्योपासना है । इस प्रकार नियमित त्रिकाल संध्या करने वाले को रोजी रोटी के लिए कभी हाथ फैलाना नहीं पड़ता-ऐसा शास्त्रवचन है ।
👉 ऋषि लोग प्रतिदिन संध्योपासना करने से ही दीर्घजीवी हुए हैं । (महाभारत, अनुशासन पर्व)
👉 उदय, अस्त, ग्रहण और मध्याह्न के समय सूर्य की ओर कभी न देखें, जल में भी उसका प्रतिबिम्ब न देखें ।
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