हमने पहले ही दिन PS एक्सक्लूसिव पोस्ट के माध्यम से कहा था की इस फिल्म ANIMAL के समाज के नकारात्मक परिणाम होंगे अब वो बात कुछ कुछ और भी लोगों को दिख रही है। खैर फिल्म परदे पर अच्छा कर रही है लेकिन समाज के लिए ये अच्छी है या बुरी ये कोई सोचना ही नहीं चाहता। एक तरफ तो समाज में बढ़ते क्राइम, हिंसा आदि से लोग चिंतित होने की बातें करते हैं (ढोंग) दूसरी तरफ ANIMAL जैसी हिंसक "टॉक्सिक " कंटेंट वाली फिल्मों को जमकर पसंद करते हैं....दोगला होता जा रहा है हमारा समाज
कहते हैं फिल्मी समाज की आईना होती हैं लेकिन समाज को ऐसी फिल्में परोसी जा रही हैं जो समाज को एक अलग ही दिशा में ले जाए... वैसे पूरी गलती बॉलीवुड बालों की नहीं हैं गलती देखने वालों की भी हैं जिन्हें ऐसी हो चीजें आजकल पसंद आती है और फिर यही लोग समाज में बढ़ती हिंसा पर चिंता भी व्यक्त करते हैं। यही होते हैं सही मायने में दोगले। खैर हम इतना ही कहेंगे की जैसे भूल मिटाने के लिए साधारण स्थित में विष्टा नहीं खाई जा सकती वैसे ही एंटरटेनमेंट के नाम पर कुछ भी मता देखो अन्यथा परिणाम भुगतने सबको पड़ेंगे.. जानिए फिल्म को लेकर संसद में क्या मामला उठा और इसी फिल्म में काम कर रही अदाकारा ने क्या कहा
छत्तीसगढ़ से कॉन्ग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने संसद में ‘युवाओं पर सिनेमा के पड़ते बुरे प्रभाव’ का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सिनेमा समाज का आईना होता है जिसका युवाओं पर बुरा असर होता है। आजकल कुछ इस तरह की पिक्चरें आ रही हैं जिसमें हिंसा को दिखाया गया है। उन्होंने कबीर सिंह पुष्पा जैसी फिल्मों का जिक्र करते हुए एनिमल पर बात की।
उन्होंने कहा, “मैं आपको कह नहीं पाऊँगी कि मेरी बेटी के साथ बहुत सारी बच्चियाँ कॉलेज में पढ़ती हैं। लेकिन वो आधी पिक्चर में ही उठकर रोती हुई हॉल से बाहर चली आईं।” उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों कबीर सिंह और एनिमल जैसी फिल्मों में इतनी हिंसा और महिलाओं के साथ अपमान को जस्टिफाई किया जा रहा है… ये एक सोचनीय विषय है।
रंजन ने कहा, “इन पिक्चरों का, ऐसी हिंसा का, गलत नेगेटिव रोल को हीरो की तरह पेश करने में युवाओं पर काफी असर पड़ता है। 11वीं और 12वीं के बच्चे इनको रोलमॉडल मानने लगे हैं। कई इस तरह की हिंसा हमें समाज में देखने को मिल रही, जो ये उदाहरण पिक्चरों से लेकर आते हैं।”
उन्होंने फिल्म के गाने ‘फड़के गंडासी’ पर भी सवाल उठाए। वह बोलीं- उच्च कोटि का इतिहास है पंजाब का। हरि सिंह नलवा का। फिल्म में एक गाना है कि फड़के गंडासी मारी। ये इतिहास को एक गैंगवॉर में, दो परिवारों की नफरत की लड़ाई में, जिसका बेटा अपने बाप के प्यार के लिए मरता है, वो भी ये पिक्चर जस्टिफाई नहीं कर पाई। वो हॉस्टल, बिल्डिंग में हथियार लेकर मारता है और कोई भी कानून उसको सजा नहीं देता है। ये भी पिक्चर में हम जस्टिफाई कर रहे हैं।
सलोनी बत्रा ने फिल्म को कहा ‘टॉक्सिक’
ऐसे ही सलोनी बत्रा, जिन्होंने फिल्म में रणबीर सिंह की ऑनस्क्रीन बहन का किरदार निभाया है, उन्होंने फिल्म को टॉक्सिक बताते हुए कहा कि वो तो आर्टिस्ट हैं उनका काम है कैरेक्टर को करना लेकिन एक दर्शक के तौर पर यह देखना और तय करना जिम्मेदारी है कि क्या सही है और क्या गलत। अगर वह किरदार कॉलेज में बंदूक चला रहा है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो सही है। ये एंटरटेनमेंट के लिए एक आर्टिस्ट का विजन है। इस दुनिया में ऐसे किरदार सच में है, लेकिन जैसा मैंने कहा, ये हमारी जिम्मेदारी है कि एक दर्शक के तौर आप इसे घर पर न ले जाए।
सलोनी बत्रा ने कहा, “आप थिएटर्स तक आए और एंटरटेन हुए, सिनेमा का काम यही है। आपको इससे सीख लेने की जरूरत है। आपको इसे घर लेकर जाने की जरूरत नहीं। एक महिला होने के नाते बताऊँ तो अगर कोई मेरे साथ भी ऐसी बात करेगा तो मुझे बुरा लगेगा। लेकिन सच ये है कि ऐसे लोग मौजूद हैं।”
बता दें कि रणबीर कपूर, बॉबी देओल, रश्मिका मंदाना की फिल्म एनिमल सिनेमाघरों में छाई हुई है। फिल्म ने 6 दिन में 300 करोड़ रुपए का बिजनेस कर लिया है। इस फिल्म ने इस वर्ष आई जवान और पठान के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। इस फिल्म का निर्देशन कबीर सिंह बनाने वाले संदीप रेड्डी वांगा ने ही किया है। उन्हें इस फिल्म के लिए सराहना और आलोचना दोनों मिल रही है।