VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 08 श्लोक 27
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया पूर्ण रात्रि तक
⛅दिनांक - 28 दिसम्बर 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - पौष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 01:05 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅योग - इन्द्र रात्रि 02:24 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅राहु काल - दोपहर 02:02 से 03:22 तक
⛅सूर्योदय - 07:19
⛅सूर्यास्त - 06:03
⛅दिशा शूल - दक्षिण
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:33 से 06:26 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - गुरुपुष्यामृत योग
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 28 दिसम्बर 2023 : गुरुपुष्यामृत योग 🌹
🔹पुण्य काल - 28 रात्रि 01:05 से 29 दिसम्बर सूर्योदय तक [रात्रि 01-:05 (29 दिसम्बर 01:05 A.M)]
🌹 पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।
🌹 गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।
🌹 गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।
🌹गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना सुलभ होता है ।
🌹गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।
🔹कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में🔹
🌹 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
🔹चोट एवं मोच होने पर🔹
🔸गिरने अथवा किसी प्रकार से अंदरूनी चोट पहुँची हो तो १ – २ ग्राम हल्दी को गुड़ के साथ खाने से अथवा दूध में हल्दी डालकर उबाल के लेने से दर्द में राहत मिलती है । अंदरूनी चोट व मोच पर हल्दी का गर्म लेप करने से भी लाभ होता है । चोट लगकर रक्तस्त्राव हो रहा हो तो हल्दी का चूर्ण लगाने से बह तुरंत बंद हो जाता है, घाव जल्दी भर जाता है व विषाणुओं के संक्रमण से रक्षा भी होती है ।
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